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थकी लोकालोक प्रमाण, काल थकी अनादिअनंत, नाव थकी श्ररूपी अने गुण थकी अवकाश प्रापनार, ए पांच बोले उलखीए ॥
काल अव्य प्रव्य थकी एक अव्य,क्षेत्र थकी अढीहीप प्रमाण,काल थकीअनादि अनंतनाव थकीरूपी, गुण थकी वर्त्तनालदण, ए पांच बोले उलखीए. ॥पुजलास्तिकाय प्रव्य अव्य थकी अनंतांजव्य,देत्र थकी चौद राजलोक प्रमाण,काल थकी अनादि अनं. त, नाव थकी रूपी अने गुण थकी पूरण गलन,समण, पमण, विध्वंसन लक्षण, ए पांच बोले उलखीए ॥ ॥जीवास्तिकायप्रव्य अव्य थकी अनंतां अव्य, क्षेत्र थकी चौद राजलोक प्रमाण, काल थकी अनादि अनंत, नाव थकी अरूपी अने गुण थकी चेतनगुणलक्षण, ए पांच बोले लखीए.एवं सर्व मली त्रीश बोल थया.
२१ एकवीशमे बोले एक जीवराशि अने बीजो अजीवराशि, ए बे राशि जाणवा ॥ - श्वावीशमे बोले श्रावकनां बार व्रत कहे . तिहां पहेले व्रते त्रस जीवने हणे नहीं अने स्थावर जीवनी मर्यादा करे, बीजे बते पांच मोटका जूठ बोले नहीं, त्रीजे व्रते मोटकी चोरी करे नहीं, चोथे व्रते परस्त्री
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