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________________ ( 2 ) त्रेवी रामं ज्योतिषी देवोनुं ने चोवीशमं वैमानिक देवोनुं, एवं चोवीश दंकक जाणवां ॥ १७ सत्तर मे बोले कृष्णलेश्या, नीललेश्या, कापोतलेश्या, तेजोलेश्या, पद्मलेश्या छाने शुक्कलेश्या, ए बलेश्या जाणवी ॥ १० ढारमे बोले मिथ्यादृष्टि, सम मिथ्या एटले मिश्रदृष्टि ने सम्यक्त्वदृष्टि, ए त्रण दृष्टि जाणवी ॥ १० अंगणी शमे बोले यार्त्तध्यान, रौद्रध्यान, धर्मध्यान ने शुक्लध्यान, ए चार ध्यान जाणवां ॥ २० वीशमे बोले धर्मास्तिकायादि ब द्रव्य बे, तेने श्रीश बोले उलखीए, ते कड़े बे. तिहां प्रथम धर्मास्तिकाय द्रव्य, ते द्रव्य थकी एक द्रव्य, क्षेत्र थकी चौद राजलोक प्रमाण, काल थकी यदि अंत रहित, नाव थकी रूपी, गुण थकी जीव पुगलने चालवानी सहाय आपनार, ए पांच बोले धर्मास्तिकायने उलखीए ॥ ॥ धर्मास्तिकाय पण द्रव्य थकी एक द्रव्य, क्षेत्र थकी चौद राजलोक प्रमाण, काल थकी अनादि अनंत, जाव की रूपी अने गुण थकी स्थिर रहेनारने सहाय अपनार, ए पांच बोले उलखीए ॥ ॥ श्राकाशास्तिकाय द्रव्य थकी एक द्रव्य, क्षेत्र For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org Jain Educationa International
SR No.005376
Book TitlePantrish Bolnno Thokdo
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1915
Total Pages36
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size4 MB
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