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________________ (११) ॥ साधुजी मने, वचने, कायाए करी सर्व प्रकारे मैथुन पोते करे नहीं, बीजा पासे करावे नहीं अने करताने रुडं जाणे नहीं, ते चोथु ब्रह्मचर्यव्रत ॥ ॥साधुजी मने, वचने, कायाए करी सर्वथा पोते परिग्रह राखे नहीं, बीजाने रखावे नहीं अने राखताने रुडं जाणे नहीं, ते पांचमुं परिग्रहविरमणव्रत ॥ ॥ हवे ए पांच महाव्रतना नांगा कहे २ ॥ ॥पहेला प्राणातिपातविरमणव्रतना जांगा एक्याशी थाय, ते कहे ॥ ए पृथ्वीकायने हणे नहीं, हणावे नहीं अने हणताने रुडं जाणे नहीं, तेना मन, वचन अने काया, ए त्रण योगे करी नांगा थया.. ए अपकायने हणे नहीं, हणावे नहीं श्रने हणता ने रुडं जाणे नहीं, मन, वचन, कायाए करी. ए तेउकायने हणे नहीं, हणावे नहीं अने हणता ने रुडं जाणे नहीं, मन, वचन थने कायाए करी. ए वायुकायने हणे नहीं, हणावे नहीं आने दणता ने रुडं जाणे नहीं, मन, वचन अने कायाए करी. ए वनस्पतिकायने हणे नहीं, हणावे नहीं, हाता. ने रुडं जाणे नहीं, मन, वचन अने कायाए करी. Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.005376
Book TitlePantrish Bolnno Thokdo
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1915
Total Pages36
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size4 MB
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