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________________ चंदराजानो रास. ॥दोहा॥ उर्जन जन मन जेहवी,श्याम घटा घन घोर ॥ उत्तर वाली उन्हही, मोर करे कींगोर ॥ १॥ दह दिश दमके दामिनी, जिम मनमथ कर वाल ॥ गुहिरो अति गाजे गयण, कोरण वहे विचाल ॥२॥ अर्थ ॥ ते समये उर्जन लोकोना मन जेवी उत्तरमांधी मेघनी घन घोर श्याम घटा चडी आवी अने मोर टौका करवा लाग्या.॥१॥ जाणे कामदेवनी तरवार होय तेवी विजली दशे दिशामां चमकवा लागी. आकाशमां गर्जना श्रवा लागी अने चारे तरफ घमघोर अश् रह्यु.॥२॥ जलधारा निबम पडे, शीतल पवन प्रसार ॥ सकर ककर सम उडे, उममंडे जलधार ॥३॥ एहवी धनमाला रची,अति सुविशाला जाम॥ कहीने वीरमती जणी, सुर पोतो निज ठाम ॥४॥ अर्थ ॥ जलनी घाटी धारा पडवा लागी; शीतल पवन प्रसरवा लाग्यो. साकरनी जेम करा उडवा लाग्या अने झमी साथे जल धारा पमवा लागी. ॥३॥ श्रावी विशाल मेघमाला रचीने अने ते वीरमतीने जणावीने ते देवता पोताने स्थाने चाली गयो. ॥ ४ ॥ प्रसर्यो घन तिम चिहुं दिशे, सत्ता विसर्जीराय ॥ मंदिर श्राव्यो दिन बते,राणी विस्मय थाय॥५॥सासु वचन तणो थयो,राणीने विश्वास । दोकर जोमी गुणावली, उत्नी प्रीतम पास ॥६॥ अर्थ ॥ आवी रीते चारे दिशामां मेघने प्रसरी गयो जोइ राजाए सजाने विसर्जन करी अने दिवस उतां ते राणीना मंदिरमां आव्यो. ते जोइ राणी गुणावली विस्मय पामी गइ. ॥ ५॥ आधी राणीने सासुना वचन उपर विश्वास आव्यो. गुणावली बे हाथ जोडी पोताना प्रियतमनी पासे उनी रही. ॥६॥ आज घणा वहिला तमे, श्राव्या मंदिर एम ॥ दीसो श्रामण मुमणा, कहो प्राणेश्वर केम? ॥७॥ अर्थ ॥ ते बोली हे ! प्राणेश्वर ! आज तमे मंदिरमा घणा वेला पधार्या अने श्राम आकुल व्याकुस लागो . तेनुं शुं कारण ते कहो. ॥ ७॥ ॥ ढाल सत्तरमी ॥ श्रावी उरहीजा परी हे॥के वेरण मत तरसावे जीवके॥रतन सोनारमी हे एदेशी॥ चंद कदे राणी जणी हे॥ के साजन, विणसतु वरसे मेहके ॥ नवली चंदनी हे, के ललना केरां जुन चरित्र के ॥ शीतल पवन ऊकोलथी हे ॥ केसा ॥ कंपे कोमल देह के ॥ न॥२॥ गंगातट वेलु जिसी हे.॥केसा॥ सखरबिदाई सेज के ॥ परनां उसीसां धर्यां हे ॥ केसा॥ राणी मनमे हेजके ॥ न॥२॥ अर्थ ॥ चंद राजाए राणीने कह्यु, प्रिया, श्रा ऋतु विना मेघ वर्षे ने, (हे नविन चंदनी नवल नारीनुं चरित्र जु.) हे! बाला, आ शीतल वायु वाय बे, जेश्री मारी कोमल काया कंपी चाले . ॥ १॥ ते Jain Education International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.005375
Book TitleChand Rajano Ras
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1905
Total Pages396
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size17 MB
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