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________________ २५६ चतुर्थ उदास. __ अर्थ ॥ चंद महाराजाने धन्य धन्य जे. एवी उत्तम यशवाली हवा दशे दिशामां पसरी रही. मोहन विजयजी महाराजे चोथा उसासनी आ अगीश्रारमी ढाल कही. ॥ १७॥ ॥दोहा॥ वीरमतीए एहवी, सण सण लहीते वात ॥ जे जे चंद विमलापुरी,लह्यो मानव श्राकार ॥१॥ रोष चढी चित्त चिंतवे, कोण एहवो संसार ॥ जे में कीधो कुकडो, दे तस नर अवतार ॥२॥ अर्थ ॥ ते समये चालती वात वीरमतीना जाणवामां एवी रीते श्रावीके विमलापुरीमां चंदने मनुष्य पणुं प्राप्त थयुं एम संजलाय ॥१॥ वीरमतीने गुस्सो चढ्यो अने ते पोताना मनमां विचारवा लागीके एवो ते श्रा संसारमा कोण जे के जेने में कुकडो बनाव्यो तेने ते मनुष्यनो अवतार श्रापे. ॥२॥ मन पण श्हां श्राव्या तणुं,राखे डे वली तेह ॥ नूली हुंज खरी प्रथम, कुशख्यो राख्यो एह ॥३॥ पाडो पुरुष थया पली, धरे होंश बहु मंद ॥ पापम खाश् पदमशी, हुर्ज दीसे चंद ॥४॥ अर्थ ॥ वली ते नहीं था श्राववाने होंश धरावे जे एम संजलाय . हूंज प्रथम जूलीके में एने कुशल ( जीवतो ) राख्यो ॥१॥ ते मंद बुद्धिवालो चंद फरी पुरुष श्रया पठी अनेक प्रकारनी श्रनिखापा राखेने ते जाणे “ पापम खाइने पदमशी" यो होय तेनी जेम करवानी धारणा राखे ॥४॥ मुज सामो थावा करे, जुर्म जग उलटो न्याय ॥ मोटीना लघु मीनमी,कान करमवा जाय ॥५॥ साहामी विमलपुरी जश्, मोड़ें एहनुं मान ॥ न दलं हां लगी श्राववा, तो मुज खरां वखाण ॥६॥ अर्थ ॥ जगत्मां अवलो न्याय थवा बेगेने ते तो जुर्ज-ए चंद मारी सामो थवा मांगे जे. एतो एना जेवं समजवु के-नानी बिलामी मोटी विलाडीना कान करडवाने दोडती होय ॥ ५॥ अहींथी विमलापुरीए तेनी सामीज जइ, एना अभिमानने नरम पाहुं अने अहीं सुधी तेने श्राववा न द तोज मारूं पराक्रम खरे खरूं समजवु. ॥६॥ आज पडी नवि राखवो, रिपुने थर अबुज ॥ एक कला ए पण अधिक, शिखवी चंद मुजा ॥७॥ अर्थ ॥ हवे पनी एवी मंद. बुधि नज राखवीके शत्रुने कबजामां आव्या पनी जीवतो राखवो. श्रा एक कला चंदे मने वधारे शिखवी. ॥ ७॥ ॥ ढाल १५ मी॥ ॥ केशर वरणो हो काढ कसुबो मारा लाल ॥ ए देशी ॥ पजणे सासु हो वहुने तेमी मारा लाल, निरख तुं चंदे हो करी मुज बेडी ॥ मा० ॥ विमलापुरीए हो मनुष्य थयो जे ॥ मा०॥ अमर्ष एहने हो हजी न गयो २ ॥ मा ॥१॥ श्राववा थाना हो उमंग धरे बे, Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.005375
Book TitleChand Rajano Ras
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1905
Total Pages396
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size17 MB
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