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________________ चंदराजानो रास. ॥दोहा॥ तेणे अवसर कुकमे, दीग श्राहीगण ॥ हरखीने निरखी पुरी, पूरव प्रेम प्रमाण ॥१॥ श्हां तो लबी प्रेमला, नाडे परणी जेह ॥ ते नगरी एतो खरी, नही लव मात्र संदेह ॥२॥ अर्थ ॥ एवे समये कुकडाए ते नगरीना ऐंधाण ( निशानी ) जोतांज हर्षवंत श्र पूर्वना प्रेमने स्मरणमा खावी नगरीने जोवा मांडी॥१॥ जे नगरीमा हुँ प्रेमला लजीने जाडे परण्यो तेज आनगरी. एवातमां मने जरापण संदेह लागतो नथी. ॥२॥ हुं एम जे पंखी थयो, एह पुरी परसाद ॥ वली फरी श्राव्यो शहां, सही तो टले विषाद ॥३॥ किहां थाना किहां विमलपुर, मेलो सुगम न होय ॥ जीवतडा मेलावमो, खलं कहे सहु कोय ॥४॥ अर्थ ॥ हुं श्राज नगरीना प्रतापथी पक्षी अयो बुं. अने फरीथी ज्यारे अहींथा श्राववा प्रसंग श्राव्यो जे त्यारे मने खात्री थाय ने के हवे मारुं मुःख टलशेज ॥ ३ ॥ क्या आजापुरी नगरी श्रने क्यां विमलापुरी, अढार सो कोशनुं अंतर ज्यां, त्यां मेलाप थवो ते केवी रीते सुगम होय? परंतु, "जीवतो नर जना पामे". ए कहेवत प्रमाणे जीवता बीए तो मेलाप थशे. ॥४॥ शहां मुजने श्राव्या तणी, रहेती होंश असंख ॥ सहीतो तेहीज कारणे, विधि मुज दीधी पंख ॥५॥ ते उपवनमां नट प्रमुख, रह्या करी थाचार ॥ हवे सुणो सहु प्रेमला, लबीनो अधिकार ॥६॥ अर्थ ॥ श्रहीथा मने श्राववानी असंख्यगणी होंशहती अने तेज कारणने लीधे मने खरूं लागे ने के विधात्राए मने पांखो आपी ॥ ५ ॥ नट विगेरे सर्व मंझले ते उपवनमा पोतानो विश्राम गम कर्यो. हवे श्रहीया प्रेमला लछीनी स्थितिनो अधिकार सांजलशो. ॥ ६॥ सहीउमां बेठी हती, डाबी फरकी नेण ॥ थर प्रमुदित प्रेमला, वदे सुरंगांवेण ॥७॥ अर्थ ॥प्रेमला सही पोतानी सखीउनी साथे बेठी हती तेवामां तेनी डाबी श्रांख फरकवाथी ते हर्षवंत अश् मीनां वचनो कहे .॥७॥ ॥ ढाल श्ए मी॥ ॥श्रा डे लालनी ॥ ए देशी॥ रे सहि शिरताज, तनु चेष्टाथी श्राज, श्रा ने लाल होवे कंत मेलावडोजी ॥ सोले वरशे उझार, देवी वचन अनुसार, श्रा ने लाल मलतो दिसे ताकमोजी ॥१॥ पण मुज मनमा एह, सही रहे संदेह, ॥ श्रा०॥ किहां पियु किहां श्राजापुरीजी ॥ नही संदेशो कोय, केम एम मेलो होय, ॥श्रा ॥ खोटी केम होशे सुरीजी॥२॥ Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.005375
Book TitleChand Rajano Ras
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1905
Total Pages396
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size17 MB
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