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________________ तृतीय उल्लास. ॥ दोहा ॥ वीरमतीए चंदने, कीधो पक्षी वेश ॥ वात प्रसिद्ध थइ घणी, परि परि देश विदेश ॥ १ ॥ जय जय तेह विमातने, दीघो ति धिक्कार ॥ कीधो राज्यनी लालचे, सुतने विहंगाकार ॥ २ ॥ ॥ वीरमती चंदराजाने पक्षीरूपे बनावी दीधो एवी वात अनुक्रमे देश परदेशमां बहुज फेलाइ ग. ॥ १ ॥ दरेक मनुष्ये ते वीरमती उरमान माताने छत्यं धिक्कार आप्यो. लोको बोलवा लाग्याके मात्र राज्यनी लालचथी पुत्रने पक्षीरूपे बनावी दीधो ॥ २ ॥ पण सहु वीरमती जये, चसकी न शके कोय ॥ वातकरे मोटा au, घणी विमास होय ॥ ३ ॥ वीरमती निर्जय थकी, पाले १७२ राज्य खं ॥ वने केइ नम्या, पुहवी पाल प्रचंड ॥ ४ ॥ अर्थ ॥ परंतु वीरमतीना जयश्री सर्व कोइ डरी गयेला होवाथी कोइ वात म्हों मांथी उचारी शकता नथी. कवत मोटानी वात करीने पावल घणो पस्तावो करवो पडेबे ॥ ३ ॥ वीरमती निर्जयने अखं पण राज्य करने तेना बलथी अनेक प्रचंक पृथ्वीपति तेलीनी पासे खावी नमवा लाग्या ॥४॥ शक्ति श्रचिती जगत्मां, वीरमतीनी जोर ॥ वक्र थको जे वक ते, कर्या पाधरा दोर ॥ ५ ॥ एवे हेमरथ एक बे, हेमालयनो नूप ॥ तेणे वीरमती तपुं, जाएयुं सयल सरूप ॥ ६ ॥ अर्थ ॥ जगत्मां वीरमतीनी शक्ति अचिंत्यबे एवं फैलातां जे वांकाउंथी पण वांकाहता ते घadul सिधा करी दीधा ॥ ए ॥ एवा समयमां हिमालयनो हेमरथ नामनो एक राजाने तेणे वीरमतनुं सघलुं वृत्तान्त जाणी लीधुं ॥ ६ ॥ मान दीन ते थयो हतो, चंद थकी बहुवार ॥ ते खाना लेवा जी, थयो जूप हुंशीयार ॥ ७ ॥ लेख लखीने पाठव्यो, वीरम तीने डूत ॥ रंडे श्राव्यो जाणजे, बेमयो जे रजपुत ॥ ८ ॥ अर्थ ॥ ते हेमरथराजा, चंद राजाथी बहु वार पराजव पाम्यो हतो. तेथी आ समये श्रानगरीनुं राज्य लेवा ते राजा तैयार थयो. ॥ ७ ॥ ते हेमरथ राजाए एक पत्र लखी दूतनीसाथे ते पत्र वीरमती उपर मोकल्यो. तेमां तेणे जणाव्युंके या क्षत्रियने जे वारंवार बेड्यो हतो तेथी हे रंडा तुं जाण जे के हुं वाने तैयार थोडं ॥ ८ ॥ ॥ ढाल १५ मी ॥ ॥ यत्तनी देशी ॥ आव्यो दूत घी धरतीने, लेख दीधो वीरमतीने ॥ वांचीने जोयुं राणी, नख शिख लगे रोष जराणी ॥ १ ॥ रे रे छूत कहुं शुं तुजने, तुजने डुहवे खामी मुजने ॥ जइ रंगापुत्रने कहेजे, होय माणस तो निरवहीजे ॥ २ ॥ Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.005375
Book TitleChand Rajano Ras
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1905
Total Pages396
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size17 MB
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