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वे याकौं मानें नही, एहवासौं रस लींन . सितर कोडा कोडिलौं, बंदीखाने दोन. ४ बंदीवान समान नृप, करि राख्यो उंह ठोरः याको जोर चले नही, उनही के सिर मोर. ५ वे जो आग्या देतो सोई कहैं इह काम; आप न जाने भूपमें, जैसें हें चित भ्रांम. ६ उनकी चेरी सों रचे, तजि निज नारि निधान कहो स्वामी कौन नृप, जिनको असो ग्यान. ७ कौंन देश राजा कवन, को रिपु को कुलनार;
को दासी गुरु कृपा करी, याको कहो विचार. ८ પ્રશ્ન ૭૩ મું–આને ઉત્તર ગુરૂએ શે આ ? उत्तर-शु३ वायः ॥
हागुरु बोले समकित विना, कौंउ पावै नाही; सर्वे रिद्ध इक ठौर हैं, काया नगरी मांही ९ काया नगरी जीव नृप, अष्ट कर्म अरि जोर; अग्यांन भावदासी रचे, पगे विकी और. १० विष बुध जिहां नहीं, तिहां स्कमतिको चाह; जो स्कमति सो कुलत्रीया, येह याको निरवाह. ११ आप परायै वसिपरे, आपा मारयौ खोय; आप आप जानै नही, कहीं आप क्यों होय. १२ आप न जानें आपको, कौंन बतावनहार; तवै सिष्य समकित लयौं, जान्यौं सबै विचार. १३ यह गुरु शिष्य चतुर्दशी, सुनहु सबै मन लाय;
कहैं दास भगवंतके, समता के घर आय. १४
અહિંયાં જીવરૂપી રાજા કુમતિના સંગે મેહને વશ પડે, મેહ રાજાએ સંસારરૂપી જેલખાને નાખે જેથી પિતાની સત્તા દબાણી, તે
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