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( २४) ग्राम अथवा कुंडपुर त्यांना सिद्धार्थ नामना राजानो पुत्र हतो एम कहे छे. जैनधर्मी लोकोनी जे विगतो छे ते उपरथी कुण्डग्राम नामर्नु कोई एक मोटुं शहेर हतुं अने सिद्धार्थ नामनो कोई एक अद्वितीय मोटो बलाढ्य राजा हतो एम ते बतावे छे. बौद्ध लोकोए जे प्रमाणे कपिलवस्तु अने सुद्धोदनना संबंधमां प्रतिष्ठा वधारी हती तेज प्रमाणे जैनधर्मीओए पण कुण्डग्राम अने महावीरना संबंधमां कर्तुं छे. आचारांगसूत्रमा कुण्डग्रामने सन्निवेश का छे, टीकाकारोए एनो अर्थ वेपारी लोकोने मुकाम करवानी जग्या एम कर्यो छे. ए उपरथी कुण्डग्राम नामर्नु एक सामान्य स्थल होवू जोईए एम देखाय छे. लोकवार्ता उपरथी एटलुंज देखाय छे के ते विदेहमां हतुं. (आचारांग सत्र २-१५-१७ जुवो ). बौद्ध ग्रंथोनुं अने जैन ग्रंथोनुं सूक्ष्म निरीक्षण करीये तो महावीरनी जन्मभूमिनो पत्तो बराबर लावी शकीए. महात्वागा नामना बौद्धना ग्रंथमां कां छे के बुद्ध कोटिग्राममा रहेतो हतो ते वखते त्यांनी विशाली नामनी राजधानीमांथी अंबापाली अने लिखिवा ए मळवाने आव्या हता. पछी बुद्ध कोटिग्रामथी नाटिका तरफ गयो, नाटिकागाममां तेणे एक ईंटोना बंगलामा मुकाम को हतो,
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