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(५३) बीजासूत्रमा पंचभूतने नित्य अने बधू तेनुज बनेटु छे तेम माननार एक सिद्धांतनुं वर्णन आपेटु छे. बन्ने मतना अनुयायिओ जीवतां प्राणीनी हिंसा करवामां पाप मानता नथी. आवान प्रकारनो मत सामञफलसुत्तमां पूरणकस्सप अने अजितकेशकंबलीनो होवानु बताव्युं छे. पूरणकस्सप पुण्यअगर पाप जेवी कोई वस्तुने मानतो नथी, अने अजितकेसकंबलीनो एवो सिद्धान्त छे के अनुभवातीत मंतव्य के जे लोकोमा प्रचलित छे तेने मळतुं कोई तत्त्वज नथी. आ उपरान्त ते एम माने छे के 'माणस ( पुरिसो) चार भूतोनो बनेलो छे; ज्यारे ते मरी जाय छे त्यारे पृथ्वी पृथ्वीमां, पाणी पाणीमां, अग्नि अग्निमां, वायु वायुमां अने ज्ञानेन्द्रियो हवामां' ( अथवा आकाशमां ) विलीन थई जाय छे. ठाठडीने उपाडनार, चार पुरुषो मुडदाने स्मशानभूमिमां लई जाय के त्यारे कल्पांत करे छे; कपोतरंगनां हाडकां बाकी रहे छे अने वीजा सघळां ( पदार्थो) बळीने भस्मीभूत थई जाय छे. आ छेल्लं सूत्र थोडा फेरफार साथे सूत्रकृतांगना पृ० ३४० उपर आवे छे:-' अन्यजनो मुहदाने बाळवा माटे लई जाय छे.
१ आकाशने बौद्धग्रंथोमां पांचमा तत्त्व तरीके मान्युं नथी, परन्तु नयंथोमां ते मान्युं छे. जुओ भागळ पृ. ३४३ अने पृ. २३५ गाथा १५. आ मात्र एक शाद्विकभेद छे नही के तात्त्विक.
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