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(१९) पूर्वे ३७७ मा वर्षने निर्णीत करी, संतोष मानवो जोईए-के जे समये द्वितीय संगति मळी हती ' त्यार बाद पण ए पालीसूत्रोमां उमेरा तथा फेरफारो थया होय ए असंभवित नथी. परन्तु आपणी प्रस्तुत दलील धम्मपदना कोई एकाद फकरा के भागने आधारे उभी थएली न होई, तेमां तथा अन्य पालीग्रन्थोमां मळी आवता विविध छन्दो उपरथी तारवी कढाता छन्दःशास्त्रना नियमोना पाया उपर स्थापित करवामां आवेली छे. तेथी ए ग्रन्थोमां दाखल थएला उमेरा या फेरफारोथी अमारा ए निर्णयने के समस्तजैनसिद्धांतसाहित्य ई. स. पूर्वे चोथी शताब्दि बाद रचाएलं छे, तेने कोई पण प्रकारनी हानि पहोंची शकती नथी.
आपणे उपर जोई गया के जैनसिद्धांतनो सौथी प्राचीन विभाग ललितविस्तरानी गाथाओथी अधिक जूनो छे. आ ग्रंथ ( ललितविस्तरा ) ना विषयमां एवं कहेवाय छे के तेनो ई. स. ६५ मां चीनीभाषामा अनुवाद थयो हतो. आ उपरथी वर्तमान जैनसाहित्यनी उत्पत्तिनो समय ई. स. नी शरुआत पहेलां मानवो जोईए. वळी दक्षिण अने उत्तरना पद्यात्मक बौद्ध
१ Sacred Books of the East, Vol X, P.' XXXII.
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