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ग्रन्थोनी छंद अने भाषाशैली विषयक विशिष्टताओना प्राचीनतम पद्यात्मक जैनसिद्धांतोमां मळी आवता अल्प या अधिकांश साम्यद्वारा, आपणे जो आ वे सीमाओ वच्चे आवेला प्रस्तुत विवादास्पद समयना कालविषयक अंतरनो विचार करीए छीए तो जैनसाहित्यनी शरुआतनो समय उत्तरना बौद्धसाहित्यना समय करतां पालीसाहित्यना समयनी अधिक समीप ठरे छे.
वळी आ प्रकारना अनुमानने श्वेताम्बरसंप्रदायनी एक 'परंपरागत कथाद्वारा समर्थन पण मळे छे. परंपरी एवी छे के जे वखते भद्रबाहु युगप्रधान हता ते वखते बार वर्षनो एक दीर्घ दुष्काळ पड्यो हतो. ते दुष्काळना अन्ते पाटलीपुत्रमा संघ भेगो थयो हतो. अने तेणे सघळां अंगो एकत्र को हतां.
आ भद्रबाहुना अवसाननी तारीख श्वेताम्बरोना कथन प्रमाणे वीर पछी १७० वर्षे छे, अने दिगम्बरोना कथन प्रमाणे ते १६२ वर्षे छे. आ उपरथी तेओ चंद्रगुप्त, के जे श्वेताम्बरोना उल्लेखानुसार वी. नि. पछी १५५ मा वर्षे गादीए आव्यो हतो, तेना समयमां थया हता. प्रो. मेक्समूलरे चंद्रगुप्तनो समय ई. स.
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१ परिशिष्ट ९५५.
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