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qatil Reyue de l'Histoire des Religions Vol. III. P. 90 मां नातपुत्त नामनी एक तिहासिक व्यक्तिनो स्वीकार करे छे खरो, परन्तु जैनोना पवित्रग्रन्थो, छेक ई० स. नी पांचमी सदीमां-एटले के ए संप्रदायनी स्थापना । यया पछी लगभग एक हजार जेटला वर्षों व्यतीत थयां बाद, लखाएला होवाथी तेना आधारे कोई पण सबळ अनुमान करी. शकवाना संबंधमां ते मोटी शंका धरावे छे. जैनधर्मना संबंधमां तेनो एवो अभिप्राय छे के ए संपदायना ते प्राचीन कालथी लई पुस्तको लखाता सुधीना समय सुधीना, स्वसंवेदित अने सतत एवा अस्तित्वनो-अर्थात् तेना खास खास सिद्धांतो अने नोंधोनी निरंतर परंपरानो-हनी सुधी निर्णयात्मक रीते निकाल थयो नथी. वली ते जणावे छे के 'घणी शदियो सुधी तो जैनो, तेमना जेवा बीजा अनेकसंन्यासीवर्गो के जे फक्त अप्रसिद्ध अने अस्थिररूपे पोतानो जीवन गाळता हता तेओथी भिन्नरूपे ओळखायाज नहोता ' तेथी मि. बार्थना अभिप्राय मुजब जैनोनी सांप्रदायिकपरंपराओ ते मात्र बौद्धपरंपराओना अनुकरणरूपे, तेमणे पोताना अस्पष्ट अने अनिश्चित स्मरणोमांथी उपजावी काढेली छे.
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