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२ उपरोक्त अर्हत परमेश्वरका वर्णन वेदोंमेंभी पाया जाता है.
३ एक बंगाली बैरिष्टरे " प्रेकटिकल पाथ" नामक ग्रन्थ बनावेल छे तेमां एक स्थान उपर लख्युं छे के-“ ऋषभदेवका नाती मरीची प्रकृतिवादी था और वेद उसके तत्त्वानुसार होनेके कारण ही ऋग्वेद आदि अन्योंकी ख्याति उसीके ज्ञानद्वारा हुई हैं. फलतः मरीची ऋषिके स्तोत्र, वेद पुराण आदि ग्रन्थोमें है. यदि स्थान स्थान पर जैनतीर्थकरोंका उल्लेख पाया जाता है तो कोई कारण नहीं कि हम वैदिककालमें जैनधर्मका अस्तित्व न माने.
४ सारांश यह है कि इन सब प्रमाणोंसे जैनधर्मका उल्लेख हिंदुओंके पूज्य वेदमें भी मिलता है.
५ इस प्रकार वेदोंमें जैनधर्मका अस्तित्व सिद्ध करनेवाले बहुतसे मंत्र है. वेदके सिवाय अन्य ग्रन्थोंमेंभी जैनधर्मके प्रति सहानुभूति प्रगट करनेवाले उल्लेख पाये जाते है. स्वामीजीने इस लेखमें वेद, शिवपुराणादिके कई स्थानों के मूल श्लोक देकर उस पर व्याख्या भी की है. ___ ६ पीछेसें जब ब्राह्मणलोगोंने यज्ञ आदिमें बलिदान कर " मा हिंस्यात् सर्वभूतानि " वाले वेदवाक्य पर हरताल फैरदी
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