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९ मुहम्मद हाफिज सय्यद बी. ए. एल. टी. थीयोसोफिकल हाईस्कूल कानपुरवाला लखे छे के..." मैं जैनसिद्धांतके सूक्ष्मतत्त्वोंसे गहरा प्रेम करता हूं" इत्यादि.
१० एम. डी. पांडे थियोसोफिकल सोसायटी बनारस लखे छे के-" मुझे जैनसिद्धांतका बहुत शौख है, क्योंकि कर्मसिद्धांतका इसमें सूक्ष्मतासे वर्णन किया गया है"
११ श्री स्वामी विरूपाक्ष वडियर-धर्मभूषण, पंडित, ‘वेदतीर्थ ' ' विद्यानिधि' एम. ए. प्रोफेसर संस्कृतकॉलेज इन्दौर स्टेट, एमनो “जैनधर्म मीमांसा " नामनो लेख चित्रमयजगत्मां छपायेल छे तेमां लख्युं छे के
१ "ईर्षा द्वेषके कारण धर्म प्रचारको रोकनेवाली विपत्तिके रहते हुए जैनशासन कभी पराजित न होकर सर्वत्र विजयी ही होता रहा हैं. इस प्रकार जिसका वर्णन है वह “ अर्हन् देव " साक्षात् परमेश्वर (विष्णुस्वरूप) है, इसके प्रमाणभी आर्यग्रन्थोंमें पाये जाते है.
१ अनिर्वचनीया माया कह करकेभी वेदांतिओ अनिर्णीवपणे लिखते रहे वही परिस्फुट सूक्ष्मवस्तुरूप कर्मसिद्धांत जैनोमें लाखो श्लोकोंसे लिखा गया है । संग्राहक॥
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