________________
(६४). जैनलोको प्राचीनकाले पण विलकुल क्षुद्र न होईने पोताना धर्ममतो विषे केवल उपर उपरनी कल्पनाओ करनारा करता विशेष होशिआर हता ए निर्विवाद सिद्ध थाय छे. ___डॉक्टर लुमाने श्वेताम्बर जैनोना सात विभागो विषे ने माहिती आपी छे ते उपरथी पण उपरना मतनेज पुष्टि मळे छे. वीजा अथवा त्रीजा सैकामां श्वेताम्बर जैनो पासेथी केटलाक अध्यात्मविचारोनी बाबतमा मतफेर पडवाथी दिगम्बर जैनो विभक्त थया. अध्यात्मविचारोमा मतभेद थयो तोपण आचार विचारोमां मतभेद नहीं होवाथी श्वेताम्बरोए तेओने कदी पण पाखडमां गण्या नथी. आ जुदा जुदा प्रमाणो उपरथी जैनलोकोना पवित्रग्रन्थो परिणत अवस्थामां आववाना पहेलो पण ते लोको केवळ क्षुद्र अने तेओना धर्ममतो अव्यवस्थित अने बीजा धर्मने अनुसरीने बदलनारा, एम न थतां तेओना मतमां बिलकुल झीणी झीणी बाबतो पण नियमित ठरावेली हती एमज मानवं योग्य लागे छे. जैनधर्मग्रन्थो प्रमाणे तेओनी ऐतिहासिकदन्तकथाओ विषे पण विचारतां जुदी जुदी गाथाओमां जे जे विस्तृत गुरुपरं
अध्यात्मदिचारोमा भेद तो छे पण आचारविचारोमा विशेष थवार्थी विभक्त करेला ॥
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org