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नक्षत्रनी वच्चे तो स्वामिसेवकपणानो नाव सिझांतमां प्रसिद्ध ,पण कंश स्त्रीजरतारपणानो नाव कहेलो | नश्री. एवी रीते व्हा खप्नमां त्रिशला क्षत्रियाणीए उससायमान थता एवा संपूर्ण चंडने जोयो. | ते वार पड़ी सातमा स्वप्नमां त्रिशला दत्रियाणीए सूर्यने जोयो. हवे ते सूर्य केवो हतो, तेनुं वर्णन करे । है. निश्चये करीने तमःपटल कहेतां अंधकारनो जे समूह, तेने परिस्फोटक कहेतां नाश करनारो हूँ
एवो. वली ते सूर्य केवो ने तो के तेज वडे करीने प्रज्वलत् कहेतां जाज्वल्यमान के रूप जेनुं एवो. हवे । सूर्यनां बिंवमा रहेला बादर एवा जे पृथ्वीकाय, ते तो हमेशां शीतल कहेतां झक आपनारा दे, पण श्रातपनामकर्मनो तेने ( सूर्यने ) उदय होवाश्री तेजे करीने ते माणसोने व्याकुल एटले पीमा-13 युक्त करे , एवी रीते जाणवू. वली ते सूर्य केवो ने तो के रक्ताशोक कहेता लाल रंगवालु अशोक जातनुं को वृक्षविशेष, तथा प्रफुल्लित थएबुंजे किंशुक कहेतां केसुमार्नु पुष्प, तथा शुकमुख कहे-18 तां पोपट, मुख (चांच ) तथा गुंजार्ध कहेतां चणोपीनो अ? जाग, के जे लोकोमा प्रसिक २ एटली वस्तुनी जे रताश, तेना सरखो ने लाल वर्ण जेनो एवो. वली ते सूर्य केयो ने तो के कमलो-15 नां जे वनो, तेने अलंकरण कहेतां शोना करनारो, अर्थात् तेने विकस्वर करनारो, कारण के विकस्वर एटले प्रफुल्लित श्रएलां, एवां जे कमलो, ते जाणे के अलंकारोज होय नहीं तेवां शोनी नीकले है बे. वली ते सूर्य केवो तो के ज्योतिषनुं जे चक्र, ते प्रत्ये अंकन कहेतां चिह्वरूप,अर्थात् मेष श्रादिक जे.
राशि, तेमां जे पोतानुं संक्रमण, तेणे करीने ज्योतिषनां लक्षणने जणावनारो. वली ते सूर्य के-15 51वो ने तो के अंबरतल कहेतां जे श्राकाशतल, ते प्रत्ये प्रदीपक कहेता प्रकाशनो करनारो. वली ते ।
सूर्य केवो ने तो के हिमपटल कहेतां बरफनो जे समूह तेने गलग्रह एटले गलहस्त देनारो, अर्थात् र बरफना समूहनो नाश करनारो. वली ते सूर्य केवो ने तो के ग्रहगण कहेतां ग्रहोना जे समूहो तेनो उरु कहेतां महान् एवो नायक कहेतां स्वामी जे. वली ते सूर्य केवो ने तो के रात्रिविनाश कहेतां । रात्रिने नाश करवाना एक कारणरूप एवो. वली ते सूर्य केवो ने तो के उदयास्त कहेतां तेना उदय 51
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