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कल्प० ॥ २५ ॥
पर चंद्रनां किरणो परुवाथी, एकदम पाठां विकस्वरपणाने कहेतां प्रफुलितपणाने पाम्या. वली ते चंद्र केवो वे तो के निशा कहेतां जे रात्रि, तेने शोजावनारो वली ते चंद्र केवो वे तो के सुर |रिमृष्ट कहेतां राख यादिकथी मांजीने उज्ज्वल करेलो जे रिसो, तेना तलीयानी बे उपमा जेने एवो. वली ते चंद्र केवो वे तो के हंसनी पेठे पटु कहेतां सफेद वे, वर्ण कहेतां रंग जेनो एवो. वली ते चंद्र केवो बे तो के ज्योतिष कहेतां जे ताराजे, तेज॑नां मुखोने शोजावनारो, अर्थात् तेनो उपरी एवो. वली ते चंद्र केवो वे तो के तम कहेतां जे अंधकार, तेना प्रत्ये रिपु कहेतां वैरी सरखो एवो. वली ते चंद्र केवो ने तो के मदन कहेतां जे कामदेव, तेनां शरापूर कहेतां जाथां (जेनां तीरो रखाय बे, तथा जेने पीठ पावल योद्धा बांधी राखे बे) ते सरखो. श्रर्थात् धनुषने धारण करनारो माणस, तुणीर कहेतां । | नाथांने मेलवीने, हर्षित थयो थको, जेम हरिण यादिकनो वध करे वे, तेम मदन कदेतां कामदेव पण चंद्रना उदयने पामीने जरा पण शंका राख्या विना माणसोने पोतानां पुष्पोरूपी बाणोथी व्याकुल करे ठे वली ते चंद्र केवो वे तो के जलधि कहेतां जे समुद्र, तेनी जे वेला कहेतां पाणीनी बोल, तेने वधारनारो एवो. वली ते चंद्र केवो वे तो के प्राणवल्लन कहेतां जे जरतार, तेनाथी एलो वे वि रह जेणीने अने तेथी करीने दुर्मनस्क कहेतां व्यग्रचित्तवाली एवी जे स्त्री, तेने पोतानां किरणोए | करीने शोषमां (शोकमां ) गरकाव करतो, अर्थात् स्त्रीनां जरतारना वियोगरूपी दुःखने उलटो वृद्धि करतो. वली ते चंद्र केवो वे तो के सौम्य कहेतां मनोहर के रूप जेनुं एवो. वली ते चंद्र केवो वे तो के | गगन मंगल कहेतां व्याकाशमंगल तेनुं विशाल ने सुंदर आकार वालुं तथा चंक्रम्यमाण कहेतां चलनखजाववालुं, एवं शोजा करनारुं जाणे तिलकज होय नहीं, एवो. वली ते चंद्र केवो बे तो के रोहिणी नामनी जे पोतानी स्त्री तेनो खामी ठे, तथा तेणीने हित करनारो वे, हितकारी एवं विशेषण एक पना प्रेमने दूर करवा माटे बे. (अर्थात् बन्ने पना प्रेमने बतावनारुं वे.) घ्यावी रीतनो चंद्र ने रोहिणी बच्चे स्त्री जरतारनो संबंध कविसमयनी अपेक्षाथी बे, केमके रोहिणी तो एक नक्षत्र विशेष वे, अने चंद्र तथा
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सुत्री०
॥ २५ ॥
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