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________________ कल्प० थवाना अवसर वखते तथा तेना अस्त थवाना अवसर वखते, फक्त एक मुहूर्तवार सुधी ने सुखदर्शन 8 सवो करीने जोवापणं जेनं एवो.अनेते सिवाय बीजे वखते दनिरीक्ष्यरूपं कहेतांपुःखे करी॥३०॥ ने जोर शकाय एवं स्वरूप जेनुं एवो, अर्थात् जेनी सन्मुख पण जोशकातुं नथी एवो. वली ते । सूर्य केवो ने तो के रात्रिने वखते उफत कहेता पोतानी छाप्रमाणे चालनारा, अर्थात् स्वेछाचारी एवा जे अन्याय करनारा चोर श्रादिको, तेउनो जे प्रचार, एटले चोरी माटे थामतेम चटकवू, तेने निवा-18 ₹रक कहेतां अटकाव करनारो. वली ते सूर्य केवो ने तो के शीतवेग कहेतां ठंमीनोजे वेग, तेने मथन र करनारो, अर्थात् पोताना तापथी ठमीने पूर करनारो एवो. वली ते सूर्य केवो ले तो के मेरु नामनोजे । पर्वत तेनो श्राश्रय करीने प्रदक्षिणा वडे करीने (तेनी) मेरुनी आसपास नमनारो एवो. वली ते । सूर्य केवो ने तो के विशाल कहेतां विस्तारवालु डे मंझप कहेतां मांडबुं जेनुं एवो. वली ते सूर्य केवो | बेतो के रश्मिसहस्रेण कहेतां दश सो, अर्थात एक हजार एवां जे पोतानां किरणो तेणे करीने प्रद-14 लित कहेतां नाश करेली बे, दीप्तिवंत कहेतां चलकाटवाला एवाजे चंड ताराबादिको, तेउनी शोना जेणे एवो, अर्थात् तेणे पोतानां किरणोए करीने सघला तेजस्वी पदार्थोनी कांतिनो नाश करेलो . हवे यहीं जे सूर्यनां एक हजार किरणो कह्यां,ते तो फक्त लोकमां एवी रीते प्रसिद्ध होवाथी कह्यां ,पण| 8 तेनां किरणो तो काल विशेषनी अपेदाए अधिक पण यश् शके . लौकिक शास्त्रोमां पण कडंडे के:- 18 __ रुतुन्नेदात्पुनस्तस्या-तिरिच्यतेऽपि रश्मयः ॥ शतानि छादश मधौ, त्रयोदश तु माधवे ॥१॥ अर्थ-ऋतुना नेदो प्रमाणे वली ते सूर्यनां किरणो वृद्धि पण पामे डे, जेमके चैत्र मासमां तेनां : बारसो किरणो थाय ने, अने वैशाख मासमां तेनां तेरसो किरणो पण थाय ॥ चतुर्दश पुनज्येष्ठे, ननोनजस्ययोस्तथा, ॥ पंचदशैव त्वाषाढे, षोडशैव तथाश्विने ॥२॥ अर्थ-वली जेठ महिनामां तेनां किरणो चौदसो थाय ,तेम श्रावण अने नादरवामां पण तेटला Jain Education International For Private & Personal Use Only Tww.tainelibrary.org
SR No.005230
Book TitleSubodhika Kalpasutra Tika Gujarati Bhashantar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinayvijay
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1915
Total Pages414
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati, Agam, Canon, & agam_kalpsutra
File Size16 MB
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