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कल्प
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स्लमां वसनारी जगवती लक्ष्मी देवीने हिमालयना शिखर उपर दिग्गजेंडे पोतानी पुष्ट सुंढथी अनिषेक|8| सुबो।
करातांजोते लक्ष्मी देवी केवी? जंचा हिमालय पर्वत उपर थयेला प्रधान कमलस्थान उपर बेठेली बे-ते श्राप्रमाणे. ए हिमालय पर्वत एकसो योजन ऊंचो . वार कलाए अधिक एक हजार ने बावन है योजन विशाल अने सुवर्णनो ने. तेनी उपर दश योजन ऊंमो, पांचसो योजन विशाल श्रने एक ६ हजार योजन लांबो वज्रमय तलीयावालो पद्मइद नामे धरो बे. तेना मध्य जागे एक कमल .8
ते जलथी बे कोश उंचुं बे, एक योजन विशाल , एक योजन लांबुं . तेनुं नील रत्नमय नालवु दश योजननुं बे. तेनुं मूल वज्रमय बे. तेनो कंद रिष्ट रत्नमय बे. तेनी बाह्य पांखडा रक्त कनकमय बे. तेनी वचली पांखमी सुवर्णमय बे. ते कमलनी कनकमय कर्णिका जे बे कोश ! विशाल, बे कोश दीर्घ श्रने एक कोश उंची . तेना केसरा रक्त सुवर्णमय ले. तेनी मध्यमां अर्थ है
कोश विशाल, एक कोश दोर्घ, कांऊणुं एक कोश उँचुं श्रीदेवीनुं जवन . तेने पांचसो धनुष्य उंचां, है अढीसो धनुष्य विशाल, पूर्व,दक्षिण अने उत्तर दिशामा रहेलांत्रण छार . तेना मध्य नागे श्रढीसो है धनुष्यनामापवाली रत्नमय वेदिका जे. तेनी उपर श्रीदेवीने योग्य एवी शय्या जे. हवे ते मुख्य कमलनी चारे तरफ श्रीदेवीनां बाजरणे जरेला, वलयाकारे रदेला प्रथम कहेला मापथी अर्धा मापे उंचां,
लांबां श्रने विशाल एवां एकसो थाउ कमलो बे. एवी रीते सर्व पण वलयोमा अनुक्रमे श्रधु अर्धं 81 है मान जाणवू. एवी रीते प्रथम वलय थयु. बीजे वलये वायव्य, ईशान अने उत्तर दिशामां चार
हजार सामानिक देवतानां चार हजार कमलो . पूर्व दिशामां चार महत्तरां कमलो . अग्नि दिशामां गुरुस्थाने रहेला अत्यंतर पर्षदाना देवतानां श्रा० हजार कमलो दे. दक्षिण दिशामा मित्रस्थाने रहेला मध्यम पर्षदाना देवतानां दश हजार कमलो . नैतदिशामां किंकरस्थाने है रहेला बाह्य पर्षदाना देवतानां बार हजार कमलो दे. पश्चिम दिशामां हाथी, अश्व, रथ, पेदल,
गंधर्व अनेनाव्यरूप सात कटकना नायकोनां सात कमल. एवीरीते बीजं वलय थयु.५त्रीजे
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