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________________ HARRASTASISHAHAHOROSHIRIS*XX364063- | १३ चोमासु रहेला पात्रधारी स्थविरकरूपी आदि साधुने अविविन्न धारा वडे वरसाद पमतो | होय त्यारे अथवा जेमा वर्षाकल्प एटले वर्षाकालमां 5ढवावें कपडं अथवा (गपरानुं ) नेवें पाणीथी टपकवा मांझे अथवा कल्प (कपमा)ने नेदीने अंदरना नागमां (पाणी) शरीरने नीजावे त्यारे गृहस्थने घेर जात पाणीने माटे नीकलq पेसQ न कल्पे. थही अपवाद कहे के ते स्थ-13 विरकल्पी श्रादिने आंतरे श्रांतरे थोडी वृष्टि थती होय त्यारे श्रथवा अंदर सुतरनुं कपडं अने ! उपर जननं कपलं ए बेथी वेष्टित थयेल स्थविरकल्पीने थोमी वृष्टिमां गृहस्थने घेर जात पाणी माटे नीकल पेसवु कल्पे. त्यां पण अपवादमा तपखी अने नूख सहन नहीं करी शके एवा साधुन । निक्षाने माटे दरेक आगली वस्तुना अनावे उनना, उंटना वालना, घासना अथवा सुतरना कपमा वझे तेमज तालपत्र अथवा पलाशना बत्र वमे वेष्टित थश्ने पण श्राहार लेवा जाय. ३१. 3 र चोमासु रहेल साधु साध्वीने गृहस्थने घेर निदालाननी प्रतिज्ञाथी एटले अहीं मने मलशे एवी बुद्धिथी गोचरीए गयेल साधुने रही रहीने वरसाद पमे तो ते साधुने श्रारामनी नीचे ( बगीचादिमां), सांजोगिक एटले आपणा अगर बीजाना उपाश्रयनी नीचे, तेने बजावे विकटगृह एटले मंगप के ज्यां गाममानी पर्षदा बेसे ले तेनी नीचे अथवा कामना मूल अथवा निर्जल केरमा15 श्रादिना मूलनी नीचे जq कल्पे . ३२. तेमां विकटगृह, वृक्षमूल श्रादिने विषे रहेला ते साधुने 8 तेना श्राववा पहेलां रांधवा मांमेल जात विगेरे अने पाउलथी रांधवा मांमेल मसरनी दाल, श्रमहै दनी दाल अथवा तेलवाली दाल होय त्यारे तेने जात विगेरे ले, कल्पे, पण मसूर आदि दाल है लेवी कल्पे नहीं. तेनो श्रा अर्थ डे के साधुना श्राववा पहेलांज पोताना माटे गृहस्थोए जे रांधवा मांमेल होय ते तेने कल्पे , कारण के तेथी दोष लागतो नथी अने साधुना श्राववा पठी जे रांधवा 5 मांड्यु होय ते पश्चादायुक्त थाय ने अने तेथी उद्गमादि दोषनो संजव ने तेथी ते लेवं कल्पे टू १ कामली विगेरे. Jan Education international PRO
SR No.005230
Book TitleSubodhika Kalpasutra Tika Gujarati Bhashantar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinayvijay
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1915
Total Pages414
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati, Agam, Canon, & agam_kalpsutra
File Size16 MB
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