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________________ कल्प ॥१३३॥ SANSANSANSARSONAGACAKACOM नहीं. ए प्रमाणे वाकीनी बने हकीकत जाणवी. ३३. तेना घेर ते साधुना श्राववा पहेलां मसूर हूँ। आदि दाल प्रथम रांधवा मांझी होय अने तंमुल आदि पालथी रांधवा मांमेल होय तो तेने मसूर श्रादि दाल लेवी कल्पे, पण तंमुल आदि लेईं कल्पे नहीं.३४. तेने घेर ते साधुना श्राववा 2 पहेला जो बंने वस्तु रांधवा मांमेल होय तो बने लेवी कल्पे अने तेना श्राववा पनी जो बने । वस्तु रांधवा मांमी होय तो बंने वस्तु लेवी कल्पे नहीं. जे चीज तेना आववा पहेलां रांधवा है मामी होय ते तेने लेवी कल्पे श्रने जे चीज तेना आववा पळी रांधवा मांमी होय ते लेवी कल्पे है नहीं. ३५. चोमासु रहेल साधु साध्वी गृहस्थने घेर निदा सेवा दाखल थयेल होय तेने जो रही है रहीने वरसाद पमे तो श्रारामनी नीचे यावत् कामना मूले जर्बु कल्पे , पण पहेलां ग्रहण करेल ६ जात पाणी सहित नोजनवेला अतिक्रमवी कल्पे नहीं. त्यारे जो वरसाद बंध न रहे तो श्राराम 8 थादिने विषे रहेल साधुने शुं करवू ? ते कहे जे.प्रथम उद्गम आदिथी शुरू थाहार खाइने, पीने, है पात्र निर्लेप करीने श्रने धोश्नाखीने एक बाजुए पात्रादि उपकरणने राखीने (शरीरनी साथे वीटा लीने ) वर्षता वरसादमां सूर्य अस्त थयां पहेला ज्यां उपाश्रय होय त्यां जq कल्पे डे, पण गृहस्थने घेरज ते रात्री अतिक्रमवी (रहेवी ) तेने कल्पे नहीं, कारण के एकला बहार वसता साधुने 'स्वपरसमुत्था' एटले पोता थकी अने पर थकी उत्पन्न थता घणा दोषोनो संजव ने तेमज है उपाश्रयमा रहेला साधु पण अधृति ( चिंता) करे (ते पण कारण डे ). ३६. चोमासु रहेला, साधु साध्वी गृहस्थने घेर निदा लेवा दाखल थयेल होय तेने जो रही रहीने वरसाद पडे तो । आरामनी नीचे यावत् कामना मूले जवू करपे . ३७. दवे रही रहीने वरसाद पडतो होय तो है जो श्राराम आदिने विषे साधु उन्ना रहे तो ते कश विधिए (उना रहे ) ते कहे . विकटगृह, ॥१३३॥ वृक्षमूल आदिने विषे रहेल साधु होय तेने अने एक साध्वीने साथे रहेतुं कल्पे नहीं, एक साधु अने र बे साध्वीउने साथे रहे कल्पे नहीं, बे साधु अने एक साध्वीने साये रहेवं कल्पे नहीं, बे साधु है। an Education international For Private & Personal Use Only
SR No.005230
Book TitleSubodhika Kalpasutra Tika Gujarati Bhashantar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinayvijay
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1915
Total Pages414
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati, Agam, Canon, & agam_kalpsutra
File Size16 MB
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