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________________ कल्प० ॥१३२॥ या प्रमाणे कहे बे. निषिद्ध करेलां घरथी बीजे जता साधुर्जने जमणवारमां उपाश्रयथी श्ररंजीने सात घरने विषे निक्षाने माटे जतुं कल्पे नहीं. एक वली या प्रमाणे कड़े बे के निषिद्ध करेलां घरथी बीजे जता साधुर्जने जमणवारमां उपाश्रयथी आरंजीने आगलना सात घरने विषे | निक्षाने माटे जतुं कल्पे नहीं. यहीं बीजा मतमां उपाश्रय ( शय्यातरगृह ) ने बीजां सात घर तजवां ए जाव बे, घने त्रीजा मतमां ( शय्यातरगृह ) उपाश्रय, त्यार पढीनुं एक घर अने यागल सात घर तजवां ए जाव वे. २७. १२ चोमासुं रहेला पाणिपात्री ( हाथज के पात्र जेने एवा ) जिनकरूपी यदि साधुने स धुंवरी एवी पण वृष्टिकाय ( अकाय ) पकते बते गृहस्थना घेर जात पाणी माटे नीकलवुं पेसवुं कल्पे नहीं. २०. चोमासुं रहेला करपात्री जिनकल्पी यदि साधुने अनाच्छादित जग्याए निका ग्रहण करीने आहार करवो कल्पे नहीं. अनाच्छादित स्थाने तेने आहार करतां जो अकस्मात् वर्षाद पने तो निक्षानो थोको जाग खाइने अने थोमो जाग हाथमां लइने तेने ( श्राहारना थोमा जागवाला हाथने ) बीजा हाथ वडे ढांकीने हृदयनी आगल ढांकी राखे अथवा कांखमां ढांकी राखेने ए प्रमाणे करीने गृहस्थोए पोताने निमित्ते श्रादित करेलां घर प्रत्ये जाय अथवा जामनां मूल प्रत्ये जाय के जेवी रीते त्यां ते साधुना हाथ उपर पाणी, पाणीनां मोटां बिंदु अथवा नानां बिंदु विराधना करे नहीं एटले पके नहीं. जो के जिनकल्पी यदि देशोन दश पूर्वधर होवाथी प्रथमथीज वर्षादनो उपयोग थाय बे ( वर्षाद यशे के नहीं ते जाणे बे ) अने तेथी धुं खाधा बाद जवुं पके ए संजवतुं नथी तोपण ब्रद्मस्थपणाने लइने कदाचित् धनुपयोग पण थाय २५. कहेला अर्थनेज जणावतां कहे बे के चोमासुं रहेला पाणिपात्री साधुने कांइ पण पाणीना बांटा तेना उपर पके तो ते जिनकल्पी या दिने गृहस्थने घेर जात पाणीने माटे नीकल वुं | पेसवुं कल्पे नहीं. ३०. पाणिपात्रीनी विधि ए प्रमाणे कही. हवे पात्र राखनारा साधुनी विधि कहे बे. Jain Education International For Private & Personal Use Only सुबो० ॥१३२॥ www.jainelibrary.org
SR No.005230
Book TitleSubodhika Kalpasutra Tika Gujarati Bhashantar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinayvijay
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1915
Total Pages414
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati, Agam, Canon, & agam_kalpsutra
File Size16 MB
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