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________________ NCRACACCORDCRACA-HAR ऐए अव्यय अने लन्द शब्द वमे काल जाणवो. तेमां जेटला वखतमां नीनो हाथ सुकाइ जाय | तेटला कालने जघन्य लन्द कहे बे, पांच अहोरात्रिने उत्कृष्ट लन्द कहे जे; अने तेनी बच्चेना है। कालने मध्यम लन्द कहे . लन्द काल सुधी पण एटले तेटलो वखत पण अवग्रहने विषे रहेवू 0 करपे, पण अवग्रहश्री बहार रहे, कल्पे नहीं. अपि शब्दथी श्रलन्दमपि एटले बहु काल सुधी है मास एक साथे अवग्रहमां रहे, कल्पे, पण अवग्रहनी बहार रहेवू करपे नहीं. गजेन्पद ! श्रादि पर्वतनी मेखलानां ग्रामोने विषे रहेला साधु साध्वीने उपाश्रयथी नए दिशामां (जवानो) श्रढी कोश अने जवा आववानो पांच कोशनो अवग्रह होय दे. अहीं “विदिशामां” एम कहेढुं| ६ ते व्यावहारिक विदिशानी अपेक्षाए , कारण के नैश्चयिक विदिशाउनु एक प्रदेशपणुं होवाथी 3 त्यां जवानो असंभव . अटवी ( जंगल ), जल आदिथी व्याघात थये ते त्रण दिशानो, बे दिशानो अथवा एक दिशानो अवग्रह नाववो ( समजवो ). ए. | ३ चोमासं रडेला साध अथवा साध्वीजने चारे दिशा अने विदिशामां एक योजन थने एक गाउ निदाचर्याए जवू श्रावq कल्पे. १७. ज्यां नदी नित्य पुष्कल पाणीवाली होय अने नित्य वहेती होय त्यां सर्व दिशा अने विदिशामा एक योजन अने एक गाउ निदाचर्याए जq श्राव कल्पे नहीं. ११. कुणाला नामनी नगरीने विषे ऐरावती नामनी नदी हमेशां बे गाउ वहेती , तेवी नदी थोड़ें (चंडं) पाणी होवाथी उलंघवी कल्पे डे के ज्यां था प्रमाणे करी शकाय. केवी है। रीते करी शकाय ? ते कहे -एक पगजलमां राखीने श्रने बीजो पग स्थल उपर राखीने एटले २ पाणीथी उपर अधर राखीने-आवी रीते जो जइ शकाय तो चारे दिशा अने विदिशामां एक 5 योजन अने एक गाउ (निदा निमित्ते ) जर्बु श्राव, कल्पे. १५. ज्यां पूर्वोक्त रीति प्रमाणे न जश् शकाय त्यां साधुने चारे दिशा अने विदिशामां तेटवू जर्बु श्रावq कल्पे नहीं श्रने ज्यां ए| १ तेटला पहोला प्रवाहवाली वे. SOCIAL ANGRESSESSIST O LOCALCONOCALCCex JanEducation international FPS
SR No.005230
Book TitleSubodhika Kalpasutra Tika Gujarati Bhashantar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinayvijay
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1915
Total Pages414
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati, Agam, Canon, & agam_kalpsutra
File Size16 MB
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