________________
तिथि होय तोपण 'पन्नरसएहं दिवसाणं' ए प्रमाणे तुं बोले . तेवीज रीते नव कल्प विहार
आदि लोकोत्तर कार्यने विषेपण बोलाय . (दश कक्ष्प कहेवाता नथी.) वली 'श्रासाढे मासे उपया' । इत्यादि, सूर्यचारने विषे पण तेमज कहेवाय ले. लोकमां पण दीवाली, अक्षयतृतीया श्रादि पर्वने विषे 81
तेमज व्याज गणवा श्रादिने विषे अधिक मास गणातो नथी, ते पण तुं जाणे . वली सर्वे शुन है कार्यो अधिक मास नपुंसक ने तेथी तेमां न करवां एम कहीने ज्योतिःशास्त्रमा तेनो निषेध करेलो है।
. वली बीजो मास अधिक होय तेनी वात तो वाजु पर रहो, पण जो जादरवो मास अधिक होय । तोपण पहेलो नादरवो अप्रमाणज डे ( एटले वीजा जाउपदमां संवत्सरीपर्व करवामां आवे | ६). जेम चतुर्दशी अधिक होय तो पहेली चतुर्दशीने लेखामां नहीं गणीने बीजी चतुर्दशीए
पाक्षिक कृत्य करवामां आवे ने तेम शाही पण जाणवू. वली जो एम होय तो 'श्रप्रमाण (यधि-है क) मासमां देवपूजा, मुनिदान थने आवश्यक आदि कार्य पण न करवां जोए' एम कहे-12 वाने तारा अधरोष्ठने चपल न कर; कारण के दिनप्रतिबद्ध देवपूजा, मुनिदान विगेरे कृत्य || ते तो हमेशा करवांज जोइए श्रने जे सन्ध्या आदि समयप्रतिबक श्रावश्यक आदि कृत्य जे ते पण 81 दरेक संध्यासमय पामीने करवांज जोश्ए थने नाउपद आदि मासश्री प्रतिबक जे कृत्यो ते बेहूँ नाउपद होय तो कया नाउपदमां करवां ? तेना विचारमा प्रथम नाउपदने अवगणीने (नहीं । गणीने) बीजा नामपदमां ते करवां एम सम्यक् प्रकारे विचार कर. वली जो, अचेत एवी। वनस्पति पण अधिक मास अंगीकार करती नथी, जेथी अधिक मासने त्यजीने बीजा मासमां पुष्पित थाय बे. जे माटे आवश्यक नियुक्तिमां कडं ले के-जइ फुटखा कणियारा, चूअगणा अहिमासयंमि घुमि । तुह न खमं फुल्लेलं, जश् पञ्चंता करिति ममराई ॥१॥ नावार्थ-हे आम्र वृक्ष!
१ व्याज, जाउँ, पगार विगेरेमां हिंऽ मासनी गणत्रीए हालमां अधिक मासर्नु वधारे सेवा देवामां आवे ने ते नवीन प्रवृत्ति के तेश्रीज तेवो करार खखवो पके वे.
Jan Education International
For Private & Personal Use Only
wow.jainelibrary.org