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________________ सुबो कल्प० गना मध्यमा जव रेखा होय तो विद्या, प्रख्याति अने वैजव प्राप्त थाय ने अने ते पुरुषनो जन्म ६ शुक्ल पदमां समजवो. १४ जे पुरुषनी आंखो राती होय तेने स्त्री त्यजी शकती नथी, जेनी आंखो। सुवर्णना जेवी पीली होय तेने ऽव्य त्यजतुं नश्री, जेना हाथ लांबा होय तेने ऐश्वर्य डोमतुं नथी श्रने | जेना शरीरमां मांसनी पुष्टि होय तेने सुख बोमतुं नथी. १५ जो नेत्रमा स्नेह (चीकाश) होय तो सौ-15 नाग्य होय, जो दांतमा स्नेह होय तो सारां जोजनो मले अने जो शरीरमा स्नेह होय तो सुख मले ६अने जो पगमा स्नेह होय तो वाहन प्राप्त थाय. जेनी उर (ती) विशाल होय ते धन धान्यनो जोगी Fथाय, जेनुं मस्तक विशाल होय ते उत्तम राजा थाय,जेनी कटीनो नाग विशाल होय तेने स्त्री अने पुत्रो घणा थाय अने जेना पग विशाल होय ते हमेशां सुखी थाय. १७ श्रा प्रमाणे लक्षणो जाणवां. | हवे व्यंजन कहे, व्यंजन एटले शरीर उपर जेमसाअने तिलक विगेरे होय जे ते, लक्षण तथा 5 व्यंजनना गुणोश्री युक्त एवो ते कुमार हतो. वली ते मान तथा उन्मानना प्रमाणने प्राप्त थयो हतो. 8 तेमां जलना जरेला कुंडनी अंदर एक पुरुषने प्रवेश करावे, पडी जे जल बहार नीकलीजाय तेटनु र जल प्रोणमान थाय त्यारे ते पुरुष मानप्रात कद्देवाय अने जो ताजवा उपर थर्धानारना मानवालो थाय । तोते उन्मानप्राप्त कहेवाय. हवे जे नार कह्यो तेनुं मान आ प्रमाणे , “उ सर्षवना दाणानो एक जव थाय, त्रण जवनी एक चणोठी थाय, त्रण चणोतीनो एक वाल थाय अने सोल वालनो एक गदीश्राणो है थाय.१ दशगदीश्राणानो एक पल थाय अने दोढसो गदीआणानो एक मण थाय, दश मणनी एक घटिका थाय एम विछानो कहे , दश घटिकानो एक नार थाय. प्रथम जे कडं के ते दोढसोनो एक |मण थाय त्यां गदीश्राणा लेवा पल लेवा नहीं, जो दोढसो पलनो मण थाय एम लश्ए तो नारना अठ्योतेर मण थ जाय अने तेना अर्धनागे जंगणचालीश मण थाय, एथीएटर्बु शरीरनुमान संजवे नहीं.जो दोढसोगदीश्राणानोमण लइए तोलारना चालीश शेरना मान वमेकांक अधिक एवा पोणा आठमण थाय थने तेनुं अर्धमान एटले पोणाचारमण श्रने पांच शेरथी वधारे शरीरनुं प्रमाण संजवे , HOSALEGALORERARMADAMAGRECORDERS ॥ १२॥ Jain Education international For Private & Personal Use Only IHDainelibrary.org
SR No.005230
Book TitleSubodhika Kalpasutra Tika Gujarati Bhashantar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinayvijay
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1915
Total Pages414
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati, Agam, Canon, & agam_kalpsutra
File Size16 MB
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