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________________ वा सर्व शरीर मुख कहेवाय बे,तेनाथी नासिका श्रेष्ठ ने श्रने नासिकाथी लोचन श्रेष्ठ जे. १ जेवां लोचन होय तेवं शील समजबु. जेवी नासिका तेवी सरलता समजवी. जेवं रूप तेवु अव्य जाणवु श्रने जेवू शील तेवा गुण जाणी लेवा. ५ जे पुरुष थति ठीगणो होय, अति लांबो होय, अति जामो होय, अति उबलो होय, अतिशे कालो होय अने अतिशे गोरो होय, ते बजातना पुरुषोमां सत्त्व रहे होय . ३ सकर्मी, स्वरूपवान्, नीरोगी, सारा स्वप्नावालो, सारी नीतिवालो अजे कवि थयेलो पुरुष । पोते स्वर्गमांथी श्राव्यो ने अने पोताने पातुं स्वर्गमा जवानुं सूचवे .४ दलवगरनो, दयालु, दानी, जियोने दमन करनार, माह्यो अने हमेशां सरल एवो पुरुष मनुष्य योनिमांधी आवी पागे मनुष्य 8 योनिमां जाय . ५ माया, लोन, कुधा, आलस्य अने घणो आहार इत्यादि चेष्टाश्री पुरुष पोते तिहै यच योनिमाथी श्रावेलो ने एम सूचवे .६ जे पुरुष रागी, स्वजननो वेषी, उर्जाषा बोलनार श्रने मूर्खनो संग करनार होय ते पोते नरकमांधी आवेलो सूचवे .७ पुरुषोने दक्षिण नागमां जो श्रावत होय तो ते शुज फल श्रापे .. वाम नागमां होय तो ते अतिनिंदवा योग्य ले अने ते सिवायना ना-18 ६गमां होय तो मध्यम फल आपे जे. जे पुरुषोना हाथमा रेखा थोडी होय अथवा घणी होय तो ते अल्प आयुष्यवाला, निर्धन अने पुःखी थाय, तेमां कांइपण संशय नथी. एजे पुरुषनी अनामिका (ट-है चली आंगलीनी पासेनी) श्रांगलीनी अंत्यरेखाथी कनिष्ठाांगली जो अधिक होय तो ते पुरुषने धननी | वृद्धि थाय अने मोशाल पद घणो होय. १० मणिबंधथी जे रेखा चाले ते पितानी रेखा अनेक-15 रन (टचली थांगलीनी नीचेना नाग) थी जे बे रेखा चाले ने ते वैनव अने श्रायुष्यनी रेखा बे, ते त्रण रेखाउँ तर्जनी (अंगोग पासेनी अांगली) अने अंगोगनी वचे जर मले बे. ११ जेठने ते त्रण रेखा संपूर्ण अने दोष वगरनी होय ते ने गोत्र-कुल, धन अने आयुष्यनुं संपूर्ण सुख मले है। बे, जो तेवू न होय तो न्यून सुख मले . १५ आयुष्यनी रेखा जेटली आंगलीने उलंघन करी आगल जाय तेटलां पचवीश वर्षनी आयुष्य विछानोए जाणी लेवी.१३ जो जमणा हाथना अंगो-18 GROGRAMGAOREOGARLOCALCORDCROCALAMO Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.005230
Book TitleSubodhika Kalpasutra Tika Gujarati Bhashantar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinayvijay
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1915
Total Pages414
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati, Agam, Canon, & agam_kalpsutra
File Size16 MB
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