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________________ वर्षी पुकाल पड्यो तेनी प्रांते सोपारक नगरमां जिनदत्त श्रावकना घरमां लद मूल्यवाझुं अन्न | राधीने तेनी ईश्वरा नामनी स्त्री तेमां विष नाखती हती तेने गुरुर्नु वचन कहीने श्री वनसेने | निवाझुं. बीजे दिवसे सवारमांज वहाण वमे पुष्कल धान्य थाववाथी सुकाल थयो, अने जिन-11 दत्ते पोतानी स्त्री तथा नागेंड, चंड, निर्वृति अने विद्याधर नामना चार पुत्र सहित दीक्षा लीधी.18॥ त्यारपली ते चार शिष्योना नामथी चार शाखा प्रवृत्त थ. * गौतम गोत्रवाला स्थविर श्रार्यसमितथी ब्रह्मदीपिका नामनी शाखा नीकली बे. तेनो संबंध है। या प्रमाणे - बाजीर देशमां अचलपुरनी नजदीकमां अने कन्ना तथा बेन्ना नदीनी मध्यमां आवेला ब्रह्महीपमां पांचसो तापस रहेता हता. तेमांनो एक पगे खेप करीने जमीन उपरनी जेम जल पर चाली जलथी पग जीजाया सिवाय बेन्ना नदी उतरीने पारणाने माटे जतो इतो. ते जोश 'श्रहो ! आनी तपनी शक्ति केवी ने ? जैनीठमां कोइ पण एवो प्रनावी नथी' ए प्रमाणे सांजलीने श्रावकोए श्री वन स्वामीना मामा आर्यसमित सूरिने बोलाव्या त्यारे तेणे कडं के 'आ तेनी मात्र अस्प एवी पादलेपशक्तिज .' पली श्रावकोए ते तापसने जमवानुं श्रामंत्रण आप्यु थने ते जमवा बेग त्यारे तेना पग अने पाउका (पावमी) धोश् नाखवापूर्वक पोताने घेर । जमाड्या. त्यारपडी तेउनी साथेज श्रावको पण नदीए गया अने ते तापस पण धृष्टतानुं आलं बन करीने नदीमा प्रवेश करतांज बुमवा लाग्यो. ते वखते तापसोनी थपत्राजना थ. तेज श्रव-14 है सरे आर्यसमित सूरिए त्यां श्रावीने लोकोने प्रतिबोध आपवा माटे योगचूर्ण नाखीने कयु के । हे बेन्ना ! मारे पेसे पार जq डे' एम कदेतांज बंने कांग एका थर गया. लोकोने बहु आश्चर्य है। शाययु. पनी सूरि महाराजे तापसोना आश्रममा जश्ने तेउने प्रतिबोधी दीक्षा आपी. त्यारपली ते-है उथी ब्रह्मकीपिका शाखा नीकली. Jain Educati For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.005230
Book TitleSubodhika Kalpasutra Tika Gujarati Bhashantar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinayvijay
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1915
Total Pages414
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati, Agam, Canon, & agam_kalpsutra
File Size16 MB
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