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________________ कल्प ॥१२३॥ ANSARMACAUREAUCACASSASCARRORECRURUCAX सहित आपवा मांगेली अने साध्वी पासेथी वजना गुणोने सांजलीने 'हुं वजनेज वरीश' एवो सुबो श्रनिग्रह जेणे लीधो हतो एवी रुक्मिणी नामनी कन्याने प्रतिबोधीने दीक्षा अपावी. अहीं कवि है। कहे जे के "जे वज्र कृषिए बाल्यवयमांज लीला मात्रमा मोहरूपी समुज्ने एक घुटमो करी नाख्यो, तेने स्त्रीरूपी नदीना स्नेहन पर केवी रीते जीजावी शके ?" ते वज्र स्वामी एक वखत पुकालमा संघने पटे उपर बेसामीने सुकालवाली नगरीमा लश् गया. त्यां बौछ राजाए जिनमंदिरोमा पुष्पनो 8 निषेध कर्यो हतो. (अहीं पण किरणावली श्रने दीपिकामां 'बौद्धराज्ञा' एवो प्रयोग लखेलोडे ते । विचारवा योग्य बे.) पनी पर्युषणामां श्रावकोए विज्ञप्ति करवाथी आकाशगामिनी विद्या वझे । + माहेश्वरी पुरीमा पिताना मित्र एक मालीने पुष्प एकगं करवा माटे कहीने पोते हिमवत् पर्वत उपर लक्ष्मी देवीने घेर गया. त्यांची लक्ष्मी देवीए आपे महापद्म तथा हुताशन वनमांश्री वीश ४ लाख पुष्प सहित जूंनक देवोए विकुर्वेला विमानमां बेसी महोत्सवपूर्वक त्यां श्रावीने जिनशा-* सननी प्रनावना करी अने राजाने पण श्रावक को. एक दिवस ते वन स्वामीए कफना उपक्रम , माटे नोजन पड़ी खावा सारु कान उपर राखेली अ॒ग्नो प्रमादथी प्रतिक्रमण वखते पात थवाथी । पोतानुं मृत्यु नजदीक श्रावेj जाणीने श्री वज्रसेन नामना पोताना शिष्यने कह्यु के "बार वर्षनो 3 उकाल पमशे अने जे दिवसे लद मूल्यवाला चावलमांथी तने निदा मले ते दिवस पड़ीना 4 दिवसनी सवारे सुकाल थशे एम जाणजे.” एम कहीने तेने बीजी जगोए विहार कराव्यो अने । पोते पोतानी साथे रहेला साधुऊनी साथे रथावर्त पर्वत उपर जश् अनशन ग्रहण करी देवलोके गया. ते वखते संघयण चतुष्क अने दशमुं पूर्व विछेद गयां (अहीं किरणावलीकारे 'तुर्य संहननं । व्युछिन्नं एटले चोएं संघयण विच्छेद गयुं एम कहे जे ते विचारवा जेवं डे,कारण के तंफुल वैचा-3 ॥१३॥ रिक वृत्ति अने दीपालिका कल्प विगेरेमां चतुष्क ए प्रमाणे पाठ कहेलो बे.) त्यारपबी बार १ पोताना वस्त्र उपर २ खावी नूली जवाश्री. Jain Education initiational For Private Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.005230
Book TitleSubodhika Kalpasutra Tika Gujarati Bhashantar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinayvijay
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1915
Total Pages414
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati, Agam, Canon, & agam_kalpsutra
File Size16 MB
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