SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 374
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ कल्प सुबो ॥१२॥ थार्यमहागिरि, आर्यसुहस्ती, श्री गुणसुंदर सूरि, श्यामार्य, स्कंदिलाचार्य, रेवतीमित्र सूरीश्वर, श्रीधर्म, जगुप्त, श्रीगुप्त अने वज्र सूरीश्वर ए दश दशपूर्वी अने श्रेष्ठ युगप्रधानो थया. ___ गौतम गोत्रवाला स्थविर आर्यवज्रथी थार्यवज्री शाखा नीकली . गौतम गोत्रवाला स्थविर आर्यवज्रने त्रण स्थविर शिष्य पुत्र समान प्रसिक हता. ते या प्रमाणे-स्थविर आर्यवज्रसेन १, स्थविर आर्यपद्म ५ अने स्थविर श्रार्यरथ ३. स्थविर आर्यवज्रसेनथी आर्यनागिली शाखा है नीकली, स्थविर आर्यपद्मथी आर्यपद्मा शाखा नीकली अने स्थविर आर्यरथथी थार्यजयंती है शाखा नीकली. वछ गोत्रवाला स्थविर श्रार्यरथने कौशिक गोत्रवाला स्थविर आर्यपुष्पगिरि शिष्य 8 हता. कौशिक गोत्रवाला स्थविर आर्यपुष्पगिरिने गौतम गोत्रवाला स्थविर आर्यफल्गुमित्र शिष्य में हता. गौतम गोत्रवाला स्थविर आर्यफल्गुमित्रने वासिष्ट गोत्रवाला स्थविर आर्यधनगिरि शिष्य है। हता. वासिष्ट गोत्रवाला स्थविर श्रार्यधनगिरिने कुछ गोत्रवाला स्थविर आर्य शिवनूति शिष्य || हता. कुछ गोत्रवाला स्थविर आर्य शिवनतिने काश्यप गोत्रवाला स्थविर आर्यन शिष्य हता. काश्यप गोत्रवाला स्थविर आर्यजाने काश्यप गोत्रवाला स्थविर आर्यनत्र शिष्य हता. का-18 श्यप गोत्रवाला स्थविर आर्यनक्षत्रने काश्यप गोत्रवाला स्थविर आर्यरत शिष्य हता. (अहीं बहुश्रुतनी प्रसिद्धिने पामेला किरणावलीकारने पण अनाजोग विलसित थयुं जणाय डे, कार ण के जे तोसलिपुत्र श्राचार्यना शिष्य, श्री वन स्वामीनी पासे सामा नव पूर्व नणेला अने नामथी । हूँ श्री श्रार्यरहित हता ते जूदा ने अने था श्रीवन स्वामीथी शिष्य, प्रशिष्यनी गणनाथी नवमी/81 पाटे थयेल आर्यरद नामे ते पण जूदा जे. ए प्रमाणे आर्यरक्षित अने आर्यरदानो स्फुट नेदर नूली जश्ने आर्यरदने ठेकाणे आर्यरकितनी हकीकत लखी दीधी बे.) काश्यप गोत्रवाला | ॥१२ ६ स्थविर आर्यरहने गौतम गोत्रवाला स्थविर श्रआर्यनाग शिष्य हता. गौतम गोत्रवाला स्थविर आर्य नागने वासिष्ट गोत्रवाला स्थविर आर्यजेहिल शिष्य हता. वासिष्ट गोत्रवाला स्थविर आर्य-8 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org.
SR No.005230
Book TitleSubodhika Kalpasutra Tika Gujarati Bhashantar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinayvijay
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1915
Total Pages414
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati, Agam, Canon, & agam_kalpsutra
File Size16 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy