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ययेस हशे एम तेना जाणनारनुं कहे . तेमां कुल एटले एक श्राचार्यनो परिवार समजवो अने है
गण एटले एक वाचना लेनार मुनिसमुदाय जाणवो. कडुंबे के "एक श्राचार्यनी संतति ४ कुल जाणवू अने बे अथवा तेथी वधारे श्राचार्यना मुनि एक बीजाथी सापेक्ष वर्तता होय तो है तेनो एक गण जाणवो.” शाखा एटसे एक आचार्यनी संततिमांज उत्तम पुरुषोना जूदा जूदा |
अन्वय (वंश) अथवा विवक्षित आद्य पुरुषनी संतति जाणवी. जेम अमारी वस्र नामना सूरिथी वरी शाखा बे. शिष्यनाजूदा जूदा अन्वय ते कुल जाणवां.जेम चांऽकुल, नागें कुल इत्यादि.2 7 तुंगिकायन गोत्रवाला स्थविर आर्ययशोजउने आ बे स्थविर शिष्य पुत्र समान प्रसिद्ध हता. (जेना उत्पन्न थवाथी पूर्वजो उर्गतिमा अथवा अयशरूप कादवमां पमता नथी ते अपत्य-पुत्र थादिक श्रने तेनी सरखा ते यथापत्य-पुत्र समान कहेवाय.) ते था प्रमाणे-एक प्राचीन हूँ गोत्रवाला स्थविर आर्यनजबाहु अने बीजा माढर गोत्रवाला स्थविर आर्यसंचूति विजय. प्राचीन गोत्रवाला स्थविर आर्यनजवाहुने श्रा चार स्थविर शिष्य पुत्र समान प्रसिद्ध हता. ते था | प्रमाणे-स्थविर गोदास, स्थविर अग्निदत्त, स्थविर यज्ञदत्त अने स्थविर सोमदत्त. ते चारे काश्यप गोत्रवाला हता. काश्यप गोत्रवाला स्थविर गोदासश्री गोदास नामनो गण नीकल्यो बे. तेनी चार शाखा आवी रीते कहेवाय ले. तामलिप्तिका १, कोटिवर्षिक ५, पुंड्रवर्धनिका ३अने दासीखर्ब टिका है। ४. माढर गोत्रवाला स्थविर श्रार्यसंनूतिविजयने बार स्थविर शिष्य पुत्र समान प्रसिक हता.
ते प्रमाणे-नंदनना १, उपनंद २, तिष्यनज ३, यशोना ४, सुमनोज ५, मणिना ६/६, पूर्णजा , स्थूलना , जुमति ए, जंबू १७, दीर्घजा ११ अने पांमुजज १५. माढर गोत्रवाला|8| ६ स्थविर धार्यसंचूतिविजयने सात शिष्या पुत्री समान प्रसिद्ध हती. ते था प्रमाणे-यक्षा १, है
यक्षदिन्ना २, जूता ३, नूतदिन्ना ५, सेणा५, वेणा६ अने रेणा . ए साते स्थूल नउनी बहेनो हती. गौतम गोत्रवाला स्थविर आर्यस्थूलनाने बे स्थविर शिष्य पुत्र समान प्रसिद्ध हता. ते श्रा
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