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________________ हूँ नहीं. त्यारे माणसोनो जबरो संहार थतो जाणीने से श्रावीने दृष्टि, वाग् , मुष्टि अने दंगरूप चार जातनां युक परावी थाप्यां. तेमां पण जरत चक्रीनो पराजय थयो. त्यारे क्रोधथी बांधला थश्ने जरते बाहुबलिनी उपर चक्र मूक्युं, पण एक गोत्रीयपणाने लीधे ते चक्रे तेनो कां पण परा-18 नव को नहीं. ते वखते क्रोधना वशथी जरतने हणवानी श्वावाला मुठी उपामीने दोमता 81 बाहुबलिए "अरे ! पिता तुल्य मोटा नाश्ने हणवो ए मने अनुचित डे अने उपाडेली मुठी हूँ , पण निष्फल केम थाय” एम विचारीने ते मुठीने पोताना मस्तक उपर मूकी केशनो लोच करीने अने सर्वनो त्याग करीने काउस्सग्ग कर्यो. ते जोश्ने जरत चक्री तेमने नमीने पोतानो अपराध है। खमावी पोताने स्थानके गया. बाहुबलि पण “दीदापर्यायथी मोटा एवा नाना जाने केवी रीते || नमुं ? तेथी ज्यारे केवलज्ञान उत्पन्न थशे त्यारेज हुँ प्रजुनी पासे जश्श' एम विचारीने एक वर्ष | सुधी कानस्सग्गमांज उजा रह्या, वर्ष पढी प्रजुए मोकलेली पोतानी बहेनोए "हे ना ! गजश्री उतरो" एम कहीने बाहुबलिने प्रतिबोध पमाड्यो. पनी बाहुबलिए जेवा पग उपाड्या के तरतज , तेने केवलज्ञान उत्पन्न थयु. त्यारपनी प्रनु पासे जश्ने लांबो वखत विहार करी प्रजुनी साथेज ते मोके गया. जरत चक्री पण लांबा वखत सुधी चक्रवर्तीनी लक्ष्मीने नोगवीने एक दिवस ६ श्रारीसाजवनमा वींटी विनानी पोतानी श्रांगलीने जोश् अनित्यपणानी नावना नावता केवल-* शान मेलवीने दश हजार राजानी साथे देवताए श्रापेला मुनिवेशने ग्रहण करी लांबो वखत है विहार करी मोदे गया. 5 थईन् कौशलिक श्री ऋषनदेव प्रजुने चोराशी गण अने चोराशी गणधर थया, षनसेन प्रमुख चोराशी हजार साधुऊनी उत्कृष्ट साधुसंपदा थर, ब्राह्मी, सुंदरी प्रमुख त्रण लाख साध्वीउनी उत्कृष्ट साध्वीसंपदा थर, श्रेयांस प्रमुख त्रण लाख ने पांच हजार श्रावकोनी उत्कृष्ट श्रावकसंपदा है। थर, सुजना प्रमुख पांच लाख ने चोपन हजार श्राविकानी उत्कृष्ट श्राविकासंपदा थक्ष, केवली Jain Education International For Private & Personal Use Only
SR No.005230
Book TitleSubodhika Kalpasutra Tika Gujarati Bhashantar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinayvijay
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1915
Total Pages414
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati, Agam, Canon, & agam_kalpsutra
File Size16 MB
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