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________________ RG कल्प ॥११३॥ हूँ नहीं पण केवली तुल्य एवा चार हजार सातसो ने पचास चौदपूर्वधरनी उत्कृष्ट संपदा थक्ष सुबोध नव हजार अवधिज्ञानीनी, वीश हजार केवल ज्ञानीउनी, वीश हजार ने बसो वैक्रियलब्धिPवालानी, श्रढीछीप थने बे समुज्ने विषे पर्याप्त संझी पंचेंजिय जीवोना मनोगत जावने जाण-12 नारा एवा बार हजार उसो ने पचास विपुलमतिउनी अने बार हजार उसो ने पचास वादीउनी उत्कृष्टी ६ संपदा थ. अर्हन् कौशलिक श्री ऋषनदेव प्रजुना वीश हजार शिष्यो ( साधु ) अने चालीश ६ है हजार साध्वी मोदे गया. अर्हन कौशलिक श्रीषजदेव प्रजुने अनुत्तर विमानमा उत्पन्न थनारा है अने श्रागामी मनुष्यगतिमां मोदे जनारा वीश हजार अने नवसो मुनिनी उत्कृष्टी संपदा था। अर्हन् कौशलिक श्रीषनदेव प्रजुनी बे प्रकारनी अंतकृचूमि यश्. ते आ प्रमाणे-एक युगांतकृदनूमि अने बीजी पर्यायांतकृद्नूमि. जगवान् पनी अनुक्रमे असंख्याता पुरुषयुग मोदे गया ते 31 हूँ युगांतकृदनूमि जाणवी अने जगवंतने केवलज्ञान उत्पन्न थया पनी अंतर्मुहूर्ते मरुदेवा माता अंतकृद्केवली थने मोदे गया ते पर्यायांतकृदनूमि जाणवी. Pा ते कोल अने ते समयने विषे अर्हन कौशलिक श्री ऋषजदेव प्रनु वीश लाख पूर्व कुमारावस्थामा | रहीने अने त्रेसठ लाख पूर्व राज्यावस्थामांरहीने एकंदर त्र्याशी लाख पूर्व गृहस्थावस्थामा रहीने, एक ६ हजार वर्ष उद्मस्थपर्याय पालीने अने एक हजार वर्ष उबां एक लाख पूर्व सुधी केवलिपर्याय पालीने, एकंदर संपूर्ण एक लाख पूर्व चारित्रपर्याय पालीने-चोराशी लाख पूर्व सुधी सर्व है। आयुष्य पालीने वेदनीय, आयुः, नाम अने गोत्र ए चार कर्म दय थये बते श्रा अवसर्पिणीमा है। सुषमष्षम नामनो त्रीजो अारो बह गये बते एटले त्रण वर्ष अने सामा पाठ मास बाकी है रह्ये बते अर्थात त्रीजा आरानां नेव्याशी पखवामीयां बाकी रह्ये बते था शियालानो त्रीजो मास,ISom पांचमो पक्ष, ते माघ मासनो कृष्णपक्ष, ते माघ मासना कृष्णपक्षनी तेरसने दिवसे' श्रष्टापद १ गुजराती पोस वदि १३. Jain Educati or Private & Personal Use Only ORainelibrary.org.
SR No.005230
Book TitleSubodhika Kalpasutra Tika Gujarati Bhashantar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinayvijay
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1915
Total Pages414
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati, Agam, Canon, & agam_kalpsutra
File Size16 MB
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