________________
त्यारपठी त्रण वर्ष सामा या मास ने बैतालीश हजार वर्षे न्यून एक लाख कोटि सागरोपमे | श्री वीर जगवान् निर्वाण पाम्या ने त्यारपढी नवसो एंशी वर्षे पुस्तकवाचना इ. ४
अन् श्री संजवनाथना निर्वाणथी दश लाख कोटि सागरोपमे श्री अजिनंदन निर्वाण पाम्या, |त्यारपठी त्रण वर्ष सामा आठ मास अने बेंतालीस हजार वर्षे न्यून दश लाख कोटि सागरोपमे श्री वीर जगवान् निर्वाण पाम्या ने त्यारपढी नवसो एंशी वर्षे पुस्तकवाचना थइ. ३
थईन् श्री अजितनाथना निर्वाणथी त्रीश लाख सागरोपमे श्री संजवनाथ निर्वाण पाम्या, त्यारपढी त्रण वर्ष सामा या मास अने बेंतालीस हजार वर्षे न्यून वीश लाख कोटि सागरोपमे श्री वीर जगवान् निर्वाण पाम्या श्रने त्यारपठी नवसो एंशी वर्षे पुस्तकवाचना इ. २
अन् श्री शषजदेवना निर्वाणथी पचास लाख कोटि सागरोपमे श्री अजितनाथ निर्वाण पाम्या, त्यारपढी त्रण वर्ष सामा श्राव मास ने बेंतालीश हजार वर्षे न्यून पचास लाख कोटि सागरोपमे श्री वीर जगवान् निर्वाण पाम्या ने त्यारपठी नवसो एंशी वर्षे पुस्तकवाचना थइ. १ हवे अवसर्पिणीमां ( धर्मना ) प्रथम प्रवर्तकपणाथी परम उपगारीपणाने लीधे श्री कृषज| देव प्रजुनुं चरित्र कांक विस्तारथी कहे बे.
मने विषे अयोध्यामां जन्मेला श्रईन् श्री रूपनदेव प्रजुनां चार कल्याणक उत्तराषाढा नक्षत्रमां थयेलां वे ने पांचमुं कल्याणक व्यनिजित् नक्षत्रमां थयेलुं वे.ते श्रा प्रमाणे| उत्तराषाढामां च्यव्या ने च्यवीने गर्भमां उत्पन्न थया, उत्तराषाढामां जन्म थयो, उत्तराषाढामां दीक्षा लीधी, उत्तराषाढामां केवलज्ञान उपन्युं छाने अभिजित् नक्षत्रमां निर्वाण पाम्या.
ते काल अने ते समयने विषे अन् कौशलिके श्री कृषनदेव प्रभु या उनालानो चोथो मास, सातमुं पखवामीयुं, ते आषाढ मासनो कृष्णपक्ष, ते श्राषाढ मासना कृष्णपक्षनी चोथने दिवसे १ कोशला ते अयोध्या, त्यां जन्म होवाथी कौशलिक. २ गुजराती जेठ वदि ४.
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org