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कल्प
॥१०३॥
वर्षतुं सर्व आयुष्य पालीने वेदनीय, श्रायु,नाम अने गोत्रकर्म क्ष्य थये उते श्राज श्रवसर्पिणीमां| सुबो उषमसुषमा नामनो चोथो श्रारो बहु गये ते था उष्णकालनो चोथो मास, श्राठमो पक्ष, ते आषाढ शुक्लपक, ते थाषाढ शुक्लपक्षनी बाग्मने दिवसे गिरनार पर्वतना शिखर उपर पांचसो बत्रीश साधु सहित जलरहित एक महीनानुं अनशन करीने चित्रा नक्षत्रमा चंयोग प्राप्त थये है
बते मध्यरात्रिने विषे ( पद्मासने ) बेग थका निर्वाण पाम्या यावत् सर्व उःखथी मुक्त थया. & हवे नेमिनिर्वाणथी केटला वखते पुस्तक लखवा विगेरे थयुं ते कहे . ४ अर्हन् श्री अरिष्टनेमि निर्वाण पाम्या यावत् सर्व फुःखथी मुक्त श्रया तेने चोराशी हजार वर्ष गयां| है अने पंच्याशीमा हजारनां पण नवसो वर्ष गयां ने अने दशमा सेंकमार्नु आ एंशीमुं वर्ष जाय .
अर्थात् श्री नेमिनाथना निर्वाण पड़ी चोराशी हजार वर्षे वीर प्रजुनुं निर्वाण थयुं अने त्र्याशी हजार सातसो पचास वर्षे श्री पार्श्वनाथनुं निर्वाण थयु ए पोतानी बुद्धिधी जाणवू. या प्रमाणे, श्री नेमिचरित्र संपूर्ण थयु. | हवे ग्रंथविस्तारना जयथी पठीना अनुक्रमे नमिथी शरु करीने अजित सुधीना जिनेश्वरोना
अंतर कालनुं प्रमाण कडं . है। अर्हन् श्री नमिनाथ निर्वाण पाम्या यावत् सर्व पुःखथी मुक्त थया तेने पांच लाख,
चोराशी हजार अने नवसो वर्ष गयां अने दशमा सेंकमार्नु श्रा एंशीमुं वर्ष जाय डे अर्थात् श्री नमिनाथना निर्वाण पठी पांच लाख वर्षे श्री नेमिनाथ निर्वाण पाम्या अने त्यार पठी चोराशी हजार नवसो एंशी वर्षे पुस्तकवाचना थ. १
॥१०॥ * अईन् श्री मुनिसुव्रतना निर्वाणथी न लाख वर्षे श्री नमिनाथ निर्वाण पाम्या अने त्यारपती
पांच लाख चोराशी हजार नवसो एंशी वर्षे पुस्तकवाचना थश्. २०
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