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| नीच बे ? एवी रीतनां राजीमतीनां वाक्योथी प्रतिबोध पामेल रथनेमि मुनि पण श्री नेमिनाथ प्रभु | पासे पोताना अतिचारनी आलोयणा लइ तप तपीने मोके गया. राजीमती पण दीक्षा श्राराधीने | अंते मोक्षशय्या पर चड्या, तथा घणा कालथी प्रार्थित एवा श्री नेमि प्रजुना शाश्वता संयोगने पाम्या कह्युं बे के केवली राजीमती चारसो वर्ष पर्यंत गृहावासमां रह्या, एक वर्ष ब्रह्मस्थपणामां रह्या ने पांचसो वर्ष केवलिपर्याय पालीने मोके गया.
अन् श्री नेमिनाथ प्रजुने श्रढार गण अने अढार गणधरो थया, वरदत्त प्रमुख अढार हजार साधुर्जनी उत्कृष्ट साधुसंपदा थइ, श्रार्ययक्षिणी प्रमुख चालीस हजार साध्वीर्जुनी उत्कृष्ट साध्वी संपदा थर, नंद प्रमुख एक लाख गणोतेर हजार श्रावकोनी उत्कृष्ट श्रावकसंपदा थइ, महासुव्रत प्रमुख त्रण लाख बत्रीश हजार श्राविकानी उत्कृष्ट श्राविकासंपदा थइ, केवली नहीं पण केवली तुल्य एवा चारसो चौदपूर्वधारीनी, पंदरसो अवधिज्ञानी उनी, पंदरसो केवलज्ञानी उनी, पंदरसो वैक्रियलब्धिवालानी, एक हजार विपुलमतिर्जनी, श्रावसो वादीउनी अने सोलसो अनुत्तर विमानमां उत्पन्न घनारा साधुर्जनी संपदा थइ, तथा पंदरसो साधु अने त्रण हजार साध्वी मोदे गया.
अन् श्री नेमिनाथ प्रभुने वे प्रकारनी अंतकृद्भूमि थइ, ते या प्रमाणे- एक युगांतकृद्भूमि अने बीजी पर्यायांतकृद्भूमि. प्रजुनी पठी या पुरुषयुग एटले पट्टधर सुधी मोक्षमार्ग चाल्यो ते युगांतकृद्भूमिछाने प्रजुने केवलज्ञान उपन्या पढी बे वर्षे कोइ पण साधु मोके गया ते पर्यायांतकृद्भूमि जाणवी.
ते काल अने ते समय विषे अर्हन् श्री नेमिनाथ प्रभु त्रणसो वर्ष कुमारावस्थामां रहीने अने चोपन दिवस ब्रद्मस्थ पर्याय पालीने, कांक ( चोपन दिवस ) बा एवां सातसो वर्ष केव| लिपर्याय पालीने, एकंदर परिपूर्ण एवां सातसो वर्ष चारित्रपर्याय पालीने अने एवी रीते एक हजार
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