________________
४ Jain Educat
वखत सुधी केवलिपर्याय पालीने, तथा एवी रीते एकंदर बेतालीश वर्ष चारित्रपर्याय पालीने अने बहोंतर वर्ष पोतानुं सर्व आयुष्य पालीने जवोपग्राही एवां वेदनीय, आयु, नाम अने गोत्र ए चार कर्म क्षय थये ते अने या अवसर्पिणीमां दुषमसुषम नामे चोथो थारो बहु गये बते एटले के ते श्रारानां त्रण वर्ष अने सामा श्राव मास बाकी रह्ये उते मध्यम पापा नगरीमां हस्तिपाल | राजाना कारकुनोनी शालामां सहाय न होवाथी एक, अद्वितीय एटले एकलाज पण रूपन यादिनी पेठे दश हजार यदि परिवार सहित नहीं एवा (छाहीं कवि कहे बे के वीजा जिनो साथे जेम मुनि मोके गया तेम तमारी साथे कोइ पण मुनि मुक्तिने पाम्या नहीं, तेथे करीने दुषम धारामां थनारा साधुर्जनी गुरुने विषे बेदरकारी जणावी बे ) जल रहित बहनो तप करीने स्वाति नक्षत्रनी साथे चंदनो योग प्राप्त थये बते चार घर्मी रात्रि बाकी रही हती ते वसरे पद्मासने बेठा थका पंचावन अध्ययन कल्याणफलना विपाकवालां, पंचावन अध्ययन पापफलना विपाकवालां अने बत्रीश पृष्ट व्याकरण एटले उत्तरोने कहीने एक प्रधान नामनुं मरुदेवानुं अध्ययन जावता | जावता कालधर्म पाम्या, संसारथी विराम पाम्या, रुडे प्रकारे उपर सिद्ध लोकमां गया, जन्म जरा ने मरणनां बंधन बेदी नाख्यां वे जेणे एवा थया, सिद्ध थया, बुद्ध थया, मुक्त थया, सर्व | कर्मनो नाश करनारा थया, सर्व संताप रहित थथा अने सर्व दुःखो क्षय थयां बे जेमनां एवा थया. हवे जगवंतना निर्वाणकाल अने पुस्तक लखवा विगेरेना कालनुं अंतर कडे बे.
श्रमण जगवान् श्री महावीर प्रभु मोके गया तेने नवसें वर्ष व्यतीत थयां ने दशमा सैकानो था एंशी मो संवत्सर काल जाय बे. जो के था सूत्रनो बराबर व्यक्त जावार्थ समजातो नथी, तोपण जेम पूर्वटीकाकारोए तेनी व्याख्या करी बे तेम मे पण करीए बीए. ते या प्रमाणेयहीं केटलाक कहे बे के कल्पसूत्रनो पुस्तकमां लखावानो काल जणाववाने माटे या सूत्र श्रीदेवर्द्धिगणि क्षमाश्रमणे लखेल बे. तेथी या अर्थ थाय बे के 'जेम श्रीवीर निर्वाणथी नवसें एंशी
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org