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Jain Edecal
त्यां द्वादशांगीनी रचना बाद प्रभु तेर्उने तेनी अनुज्ञा करता हवा अने इंद्र वज्रमय दिव्य स्थाल दिव्य चूर्णोनो जरी प्रजुनी पासे आव्यो. पती प्रजुए रत्नमय सिंहासनथी उठीने ते चूर्णनी संपूर्ण मुठी जरी पठी गौतम प्रमुख अगीयारे गणधरो अनुक्रमे जरा नमीने उजा रह्या. ते वखते देवो पण वाजित्रना ध्वनि तथा गीत आदिने निवारीने सांजलवा लाग्या. ते वखते पहेलां प्रभु कदेवा लाग्या के "गौतमने द्रव्य, गुण तथा पर्यायथी तीर्थ प्रत्ये श्राज्ञा आपुं बुं”, एम कही तेना मस्तक पर चूर्ण नाखता दवा. पठी देवो पण तेमना पर चूर्ण, पुष्प ने सुगंधनी वृष्टि करता दवा; अने | सुधर्मास्वामी ने धुरिपदे स्थापीने प्रभु गण प्रत्ये अनुज्ञा करता हवा. एवी रीते गणधरवाद जाणवो.
हवे ते काल अने ते समयने विषे श्रमण भगवान् श्री महावीर प्रभु अस्थिक ग्रामनी निश्राए पहेलुं चोमासुं करता हवा, त्यारपठी चंपा ने पृष्ठचंपानी निश्राए त्रण चोमासां करता दवा, वली एवीज रीते वैशाली नगरी अने वाणिज्यग्रामनी निश्राए बार चोमासां करता दवा, राजगृह नगरनी | अने नालंदा पामानी निश्राए चौद चोमासां करता हवा, अर्थात् त्यां राजगृह नगरनी उत्तर दिशामां नालंदा नामे पामो एटले शाखापुर डे त्यां चौद चोमासां करता हवा, ब मिथिला नगरी मां करता हवा, बेनडिका नगरीमां करता हवा, एक थालंजिका नगरीमां करता दवा, एक चोमासुं श्रावस्ती नगरीमां करता हवा, एक चोमासुं वज्रभूमि नामे अनार्य देशमां करता हवा, अने एक बेधुं चोमासुं मध्यम | पापा नगरीमां हस्तिपाल राजाना कारकुनोनी जीर्ण एवी एक शालामां करता हवा. पहेलां ते नगरीनुं “पापा” एवं नाम हतुं, पण प्रभु त्यां कालधर्म पाम्या, तेथी देवोए तेनुं "पापा नगरी" एवं नाम श्राप्युं.
दवे जे बेल्ला चोमासामां प्रभु मध्यम पापा नगरीमां हस्तिपाल राजाना कारकुनोनी शालामां श्राव्या, ते चोमासामां या वर्षाकालनो चोथो महिनो, सातमो पक्ष, ते कार्त्तिक मासनो कृष्ण, ते कार्त्तिकना कृष्णपक्षना पंदरमां दिवसे जे बेली रात्रि हती, ते रात्रिए श्रमण भगवान् १ गुजराती आसो मासनी अमासे.
पक्ष,
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