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________________ सुबो० कल्प० श्री महावीर प्रजु कालधर्मने पाम्या. कायस्थिति अने जवस्थिति थकी कालधर्मने पाम्या. संसारथी पार उतरी गया. रुडे प्रकारे संसारमध्ये फरीने पाला न श्राववे करीने ऊर्ध्व प्रदेशमा प्रजु गया. ॥जए॥ ते प्रनु केवा ? तो के देला ने जन्म, जरा अने मरणनां बंधनो एटले जन्म, जरा भने मरणनां है कारणरूप कर्मों जेणे एवा,तथा साधित कयों ने अर्थ जेमणे एवा,तथा तत्वना अर्थोनाजाणकार, तथा ? नवोपग्राही कोथी मुक्त थयेला, तथा सर्व पुःखोनो अंत करनारा, सर्व संतापोना अनावी परि-3 निर्वृत श्रयेला, तथा नाश थयेल ने शरीर अने मन संबंधी सर्व फुःखो जेमनां एवा ते प्रजु थया. है हवे जगवंतना निर्वाणवर्ष श्रादिना सिझातनां नामो कदे . जे वर्षमा प्रनु निर्वाणपदने । पाम्या, ते चंड नामे बीजो संवत्सर हतो, ते कार्तिक मासनुं प्रीतिवर्धन एवं नाम हतुं, ते पदनुं नंदिवर्धन एवं नाम हतुं, ते दिवसर्नु अग्निवेश्य एवं नाम हतुं, तथा तेनुं उपशम एवं बीजुं नाम । पण हतुं, देवानंदा नामे ते अमावास्यानी रात्रिनुं नाम हतुं, अथवा तेनुं बीजं निरति एवं नाम पण कहे . ते वखते अर्च नामे लव हतो, मुहूर्त नामे प्राण हतो, सिक नामे स्तोक हतो, नागर नामे करण हतुं, या शकुनि आदि चार स्थिर करणोमांनुं त्रीजुं करण हतुं, केमके अमासना उत्तराईमां तेज करण होय जे. सर्वार्थ सिद्ध नामे मुहूर्त हतुं तथा ते वखते स्वाति नामना नदत्रनी है साथे चंनो जोग प्राप्त थये ते प्रजु कालधर्मने पाम्या यावत् सर्व फुःखथी मुक्त थया. ६ हवे ते संवत्सर, मास, दिवस, रात्रि तथा मुहूर्त्तनां नाम सूर्यप्रज्ञप्तिमां नीचे प्रमाणे श्राप्यां . है एक युगमां पांच संवत्सर होय बे; तेनां नाम चंड, चंड, अनिवर्डित, चंछ श्रने अनिवर्धित. तथा अभिनंदन, सुप्रतिष्ठ, विजय, प्रीतिवर्डन, श्रेयान् , शिशिर, शोजन, हैमवान , वसंत, कुसुमसंचव, निदाघ भने वनविरोधी, ए श्रावणादि बार मासनां नाम जाणवां. तथा पूर्वांगसिक, मनोरम, मनोहर, यशोज, यशोधर, सर्वकामसमृक, इंज, मूळनिषिक्त, सौमनस, धनंजय, अर्थसिक,8 अनिजित, रत्याशन, शतंजय तथा अग्निवेश्य, ए पंदर दिवसनां नाम जाणवां. तथा उत्तमा, सुन CAMERASACRECEMORRORESEARCORESCOM Jain Education initiational For Private & Personal Use Only IAlainelibrary.org
SR No.005230
Book TitleSubodhika Kalpasutra Tika Gujarati Bhashantar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinayvijay
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1915
Total Pages414
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati, Agam, Canon, & agam_kalpsutra
File Size16 MB
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