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________________ कल्प० ॥ ८२ ॥ वाणं" ए पदमां अकारनो प्रश्लेष होवाथी सर्व अजीव एटले धर्मास्तिकाय व्यादिकना पण सर्व पर्यायोने जाणता ने जोता थका प्रभु विचरवा लाग्या एवो पण अर्थ जाणवो. हवे ते अवसरने विषे एकठा मलेला देव असुर प्रत्ये पत्थरवाली जमीन पर पडेला वरसादनी पेठे | क्षणवार निष्फल एवी देशना दइने प्रभु पापापुरीमां महसेन नामे वनमां गया. त्यां यज्ञ करावता एवा | सोमिल नामे ब्राह्मणना घरमां घणा ब्राह्मणो एकठा थया हता. ते मां इंद्रभूति, अग्निभूति तथा वायजूति नामे त्रण सगा जाइ हता. ते चौदे विद्यामां प्रवीण हता. अनुक्रमे ते मां पहेलाने जीवनो, बीजाने कर्मनो तथा त्रीजाने तेज जीव ने तेज शरीरनो संदेह हतो. तथा ते दरेकने पांचसो पांचसो शिष्योनो परिवार हतो. तेवीज रीते व्यक्त ने सुधर्मा नामना वे ब्राह्मणो तेटलाज परिवारवाला तथा तेवाज | विद्वानो हता. अनुक्रमे तेर्जमांथी पहेलाने पंच भूतो बे के नहीं ? एवो संदेह हतो, तथा बीजाने “जे जेवो ते तेवोज" एवो संदेह दतो. वली तेवाज विद्वान् मंकित ने मौर्यपुत्र नामे वे जाइ हता. ते | दरेकने सामा त्रणसो शिष्योनो परिवार हतो. अनुक्रमे ते मांश्री पहेलाने बंध मोहनो, तथा बीजाने | | देवना संबंधमां संदेह हतो. तथा अकंपित, अचल जाता, मेतार्य अने प्रजास नामे चार ब्राह्मणो हता. ते दरेकने त्रणसो त्रणसो शिष्योनो परिवार हतो; तथा अनुक्रमे ते मांथी पहेलाने नारकीनो, बीजाने पुण्यनो, त्रीजाने परलोकनो तथा चोथाने मोनो संदेह हतो. एवी रीते ते ग्यारे विद्वानोने एक | एक संदेह हतो, पण पोताना सर्वज्ञपणाना अजिमाननी कृतिना जयथी ते मांहोमांहे कोइने प | पोतपोताना संदेह विषे पूठता नहोता. एवी रीते तेर्जना परिवारना चुमाली सें ब्राह्मणो, तथा बीजा पण उपाध्याय, शंकर, ईश्वर, शिवजी, जानी, गंगाधर, महीधर, नूधर, लक्ष्मीधर, पंड्या, विष्णु, मुकुंद, गोविंद, पुरुषोत्तम, नारायण, डुवे, श्रीपति, उमापति, गणपति, जयदेव, व्यास, महादेव, शिवदेव, मूलदेव, सुखदेव, गंगापति, गौरीपति, त्रिवामी, श्रीकंठ, नीलकंठ, हरिहर, रामजी, बालकृष्ण, यडुराम, राम, रामाचार्य, राजल, मधुसूदन, नरसिंह, कमलाकर, सोमेश्वर, हरिशंकर, त्रिकम, जोशी, पूनो, For Private & Personal Use Only Jain Education International Rato M ॥ ८२ ॥ www.jainelibrary.org
SR No.005230
Book TitleSubodhika Kalpasutra Tika Gujarati Bhashantar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinayvijay
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1915
Total Pages414
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati, Agam, Canon, & agam_kalpsutra
File Size16 MB
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