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रामजी, शिवराम, देवराम, गोविन्दराम,रघुराम,दिराम विगेरे घणा ब्राह्मणो त्यां एकग थया हता.
श्रा वखते प्रजने वांदवा माटे श्रावतासुर अने असुरोने जोश्ने ते ब्राह्मणो विचारवा लाग्या के अहो! था यझनो महिमा केवो !! के श्रहीं था देवो सादात् पधार्या ,पण पड़ी तो तेने ते यज्ञमप तजीने प्रजुनी पासे जता जाणीने ते खेद पामवा लाग्या.पली माणसोनां मुखथी तेने सर्वप्रजुने वांदवा जतासांजलीने अनूति क्रोधवालो थयो थको विचारवा लाग्यो के अरे!! हंसर्व होते बते पण बीजो कोश्वली पोताने शुं सर्वज्ञ लेखावे !!! अरे ! कानने नहीं सांजली शकाय एवं था| कम वचन माराथी केम संजलाय!!! अरे ! वली कदाचित् को पण मूर्ख तो कोश् धूर्त थी उगाय, पण आणे तो देवोने पण उग्या बे; केमके श्रावी रीते आ देवो यज्ञममपने अने मने सर्वज्ञने तजीने । ४/तेनी पासे जायचे. थहो ! ए देवता केमन्त्रांति पाम्या ? के जे तीर्थजलने तजी देनारा कागमानी
पेठे, (कमलाकर) तलावने तेजी देनारा देमकानी पेठे, चंदनने तजी देनारी माखीनी पेठे, सारांकामने तजी देनारा उंटनी पेठे, हीरानने तजी देनारा लुमनी पेठे अने सूर्यना प्रकाशने तजी देनारा घुवमनी पेठे याने तजीने चाल्या जाय ? अथवा जेवो था सर्वज्ञ तेवाज था देवो पण ने, माटे
सरखे सरखो जोग मल्यो !!! कडं ले के सरखापणुं तो जुर्ज,के नमरो आंबाना महोर उपर गुंजारव करे है ४ अने वली कागमानो समूह लीबमाना महोर उपर आकुल थयो थको मले डे, तोपण ढुं तेना
सर्वज्ञपणाना आटोपने सहन करी शकीश नहीं; केमके श्राकाशमां शुंबे सूर्य होश्शके ? अथवा एक गुफामां शुं वे सिंह रही शके ? अथवा एक म्यानमां शुंबे तलवार हो। शके ? तेवी रीते हुँ
श्रने आ बंने सर्वज्ञ शी रीते थइ शकीए ? ४ा हवे प्रजुने वांदीने पाला वलता लोकोने तेणे हांसीपूर्वक पूज्यु के अरे ! लोको! ! तमोए ते सर्व
इने जोयो ? ते केवा रूपवालो ने ? तेनुंझुंखरूप ले ? त्यारे लोकोए कडं के जोत्रणे लोक (त्रणे लोकमां । रहेला जीवो) गणवाने तत्पर थाय, तेमना श्रायुष्यनी समाप्ति न होय अने जो परार्धथी उपर ग-18
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