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कल्प
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एवी रीते प्रजुने विचरतां थका अनुपम एवा ज्ञानथी,अनुपम एवा दर्शनथी,अनुपम एवा चारित्रथी, सुबो० अनुपम एवा श्रालयथी एटले स्त्री,नपुंसक विगेरेथी रहित घरमा रहेवाथी, अनुपम एवा विहारे है करीने,अनुपम एवा पराक्रमथी, अनुपम एवा सरलपणाथी,अनुपम एवा निरनिमानथी, अनुपम एवा, लाघवपणाथी,एटले अव्यथी अल्पोपधिपणाथी,तथा जावथी गौरवत्रयना त्यागथी,अनुपम एवी दमा-3 थी,अनुपम एवा निर्लोनपणाथी,अनुपम एवी मनोगुप्ति आदिकथी,अनुपम एवा संतोषथी तेमज सत्य,
संयम तथा वार प्रकारनो तप,तेोनुं जे सदाचरण,तेणे करीने पुष्ट थयेलु डे मुक्तरूपी फल जेनु,एवी रीतिनो रत्नत्रयरूप जे अनुपम एवो मोक्षमार्ग तेणे करीने-एवी रीते उपर वर्ण वेला सर्व गुणोना समूहथी ।
श्रात्माने जावतां थका बार वर्ष वीती गया.ते श्राप्रमाणे-तेमां एक उमासी करी. बीजी मासी पांच ६ दिवस उगनी करी. नव चोमासी करी.वे त्रणमासी करी.बे अढीमासी करी. उ बेमासी करी. वे दोढ-18
मासी करी.बार मासक्षपण काँ. बहोतेर पक्षपण काँ. बे दिवसना प्रमाणनी नअप्रतिमा करी./हूँ। चार दिवसना प्रमाणनी महाजनप्रतिमा करी. दश दिवसना प्रमाणनी सर्वतोनप्रतिमा करी. बसें है। ने गणत्रीश बह कर्या. बार अहम कर्या. त्रणसें ने ओगणपचास पारणां कर्या. एक दीदानो दिवस थयो. श्राप्रमाणे बार वरस अने सामा उमासनो उद्मस्थ पर्याय थयो. श्रा सघलो तप प्रजुए जलरहित है।
कयों. तेम नित्य जक्त के चतुर्थ जक्त कोइ दहामो पण कर्यु नहीं. है। एवी रीते तेरमा वर्षनी अंदर वर्तता एवा प्रजुने जे या ग्रीष्मकालनो बीजो मास, चोथो पद एटले है
वैशाखनो शुक्ल पक्ष, ते वैशाखना शुक्ल पक्षनी दशमीने दहाडे पूर्व दिशा तरफ बाया जाते बते,पाश्चात्य , पौरुषी संपूर्ण होते बते,केवी रीते ? तो के प्रमाण प्राप्त अर्थात् पौरुषीन्यूनाधिक न होते ते,सुव्रत नाम-11 ना दिवसे, विजय नामना मुहूर्ते, गॅनिकग्राम नामना नगरनी बहार,झजुवालुका नामनी नदीने कांठे, 51 व्यावृत्त नामे जुना एवा एक व्यंतरना देवलनी नहीं अति पूरे,तेम नहीं अति नजदीके, श्यामाक नामे है कौटुंबिकनां क्षेत्रमां, सालनामना वृक्षनी नीचे, ग
मना उत्कटिक आसने बेठा थका, था
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