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कल्प
सुबोध
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आदिकनी सहामानी पेठे ए|
पया, नारंपनियत निवास
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हृदयवाला थया,तथा कमलपत्रनी पेठे निर्लेप थया,एटले जेम कमलपत्र पर लेप लागतो नथी,तेम प्रजुने 8 हूँ पण कर्मोनो लेप लागतो नथी, तथा काचबानी पेठे गुप्त इंडियोवाला, तथा गेंमाना शिंगमानी पेठे ए, है काकी अर्थात् गेंमाने जेम एकज शिंगडं होय ,तेम नगवान् पण राग आदिकनी सहाय विनाना, तथा ? पक्षीनी पेठे परिवारनुं मूकवापणुं होवाथी अने अनियत निवास होवाथी विषमुक्त थया, तथा नारंग पक्षीनी पेठे प्रमाद विनाना थया,नारंग पदीना जोडलानुं एकज शरीर होय ने कह्यु के जारंग पदी-8
एक पेटवाला, पृथग ग्रीवावालांत्रण पगवालांतथा मर्त्यनी नाषा बोलनारां होय जे अने तेउनु मृत्यु निन्न फलनी श्वाथी थाय , वली ते अत्यंत अप्रमादी थया थका जीवे ने एउपमा जाणवी. वली में हाथीनी पेठे कोरूपी शत्रुने हणवाने शूरा, तथा वृषजनी पेठे पोते अंगीकार करेला व्रतनारने
उपामवाने समर्थ होवाथी जातपराक्रम, तथा सिंहनी पेठे परिषहादिकरूप श्वापदथी नहीं जीताय 51 ६ तेवा होवाथी पुर्डर्ष, तथा मेरुनी पेठे उपसर्गोरूपी पवनथी चलायमान नहीं थवाथी अप्रकंप, है तथा हर्ष तेमज शोकन कारण होय तेने विषेपण विकार रहित वनावने लीधे समुनी पेठे गंजीर, है तथा शांतपणाने लीधे चंनी पेठे सौम्य खेश्यावाला, तथा सूर्यनी पेठे देदीप्यमान तेजवाला, अर्थात् २
अव्यथी शरीरनी कांतिथी अने लावथी झाने करी कांतिवाला थया,तथा उत्तम सुवर्णनी पेठे थयेवू स्वरूप जेमनुं एवा थया,अर्थात् जेम निश्चे मेल बली जवाथी सोनुं कांतिवाबुंथाय ,तेम नगवान, स्व-18
रूप पण कर्मरूपी मेलनो नाश थवाथी अत्यंत दीप्तिवावं थयेवं हतूं एजाव जाणवो.तथा पृथ्वीनी पेवेद + सर्व स्पर्शने सहन करनारा थया,अर्थात् जेम पृथ्वी टाढ तमको विगेरे समताश्री सहन करे ,तेम नग-है। वान् पण सघ सहन करता हवा,तथा सारीरीते घीयादिकथी सिंचायेलो जे अग्नितेनी पेठे तेजथीजाज्वल्यमान थया. वली ते प्रजुने एवो पदनथी के कोपण जगोए तेमने प्रतिबंध थाय एटले तेम
2 ने कोइ पण जगोए प्रतिबंध नहोतो ए जाव जाणवो.ते प्रतिबंध चार प्रकारनो कहेलो बे. ते याप्रमाणेअव्यथी, क्षेत्रथी, कालथी अने नावथी. तेमां अव्यथी सचित्त, अचित्त अने मिश्र ए त्रण प्रकारे है।
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