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________________ कल्प० ॥ ६॥ SKS तपस्या, पूजा ने प्रजावना विगेरे धर्मनां कार्यामां श्रालस्य करवुन जोइए, कारण के उपर कहेली तपस्यादि सर्व सामग्रीए युक्त एवुंज कल्पसूत्रनुं श्रवण वांबित फलने थापनारुं बे. जेम बीज पण जो तेनी साथे वृष्टि, वायु विगेरेनी सामग्री होय तोज फलनी सिद्धि करवामां समर्थ थाय वे, ते सिवाय यतुं नथी. एवी रीते श्रा श्रीकल्पसूत्र पण देव गुंरुनी पूजा, प्रजावना अने साधर्मिकनी जक्ति प्रमुख सामग्री साथै श्रवण करवायीज यथार्थ फलना हेतुरूप याय डे. नहीं तो " सर्व जिनवरोमां श्रेष्ठ एवा श्रीवर्द्धमान स्वामीने करेलो एक पण नमस्कार पुरुष श्रथवा स्त्रीने या संसारसागरमांथी तारे बे.” आवुं वचन सांजली प्रयासथी साध्य एवा कल्पसूत्रना श्रवणमां पण आलस्य यर जाय. हथकर्त्ता पुरुषा विश्वास उपरथी तेनां वचननो विश्वास द्यावे एवो नियम बे तेथी च्या कल्पसूत्रकर्त्ताने यहीं जणाववा जोइए. ते चौद पूर्वने जाणनारा युगप्रधान श्रीनद्रबाहु स्वामी बे, तेर्जए दशाश्रुतस्कंधना श्रावमा अध्ययनपणाथी प्रसिद्ध प्रत्याख्यानप्रवाद नामना नवमा पूर्वमांथी उद्धार करी या कल्पसूत्र रचेलुं बे. ते चौद पूर्वोनुं प्रमाण या प्रमाणे वे - प्रथम पूर्व एक हस्तिना प्रमा एवाला मषीना पुंजश्री लखाय तेवुं बे. बीजुं पूर्व वे हस्तिना प्रमाणना मषीना ढगलाथी लखाय तेवुं बे. त्रीजुं चार हस्तिप्रमाण मषीना पुंजथी लखाय तेवुं बे. चोथुं श्राव हस्तिप्रमाण मषीपुंजथी लखाय तेवुं बे. पांचमुं सोल हस्तिप्रमाण मषीपुंजयी लखाय तेवुं ठे. बहुं वत्रीश हस्तिप्रमाण मषीपुंजथी लखाय तेवुं बे. सातमुं चौसठ हस्तिप्रमाण मषी पुंजयी लखाय तेतुं बे. यामुं बसो ने श्रय्यावीश हस्तिप्रमाण मषी पुंजी लखाय तेवुं वे. नवसुं बसो ने उप्पन हस्तिप्रमाणनुं वे. दशमं पांचसो बार हस्तिउना प्रमाणनुं बे. अग्यारमुं एक हजार ने चोवीश द स्तिर्जना प्रमाणनुं वे. बारमुं बे हजार ने अमतालीश हस्तिना प्रमाणनुं बे. तेरमुं चार हजार ने बन्नुं हस्तिर्जना प्रमाणनुं बे. चौदमुं श्राव हजार एक सो ने वाएं दस्तिर्जना प्रमाणनुं वे. एकंदर सर्वे मली चौद पूर्वो सोल हजार त्रणसो ने त्र्याशी हस्तिना For Private & Personal Use Only Jain Education International सुवो० ॥ ६॥ jainelibrary.org
SR No.005230
Book TitleSubodhika Kalpasutra Tika Gujarati Bhashantar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinayvijay
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1915
Total Pages414
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati, Agam, Canon, & agam_kalpsutra
File Size16 MB
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