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कद्यु, अग्निमां होम्या जेवू श्रावू औषध शा कामर्नु ? त्रीजो वैद्य बोल्यो-मारं औषध जो शरीरे रोग
होय तो तेने हणे, अने जो रोग न होय तो शरीरमा सौंदर्य, वीर्य श्रने तुष्टि पुष्टि करे . राजाए ॥ दूयं के श्रा औषध सारं बे. तेवी रीते था कल्प पण जो दोष होय तो दोषनो नाश करे अने | है दोषनो अनाव होय तो धर्म, पोषण करे ने तेथी ए प्राप्त थयेला पर्युषणा पर्वमां मंगल निमित्त है। पांच दिवस सुधी कल्पसूत्र वांचवू. जेम देवताउँमां इंज, ताराठमां चंड, न्यायने विषे प्रवीण पुरुषोमां राम, स्वरूपवंतमां काम, रूपवती स्त्रीमां रंजा, वाजित्रोमां नंजा, हस्तिठमां ऐरावण,
साहसिकमां रावण, बुद्धिमान्मां अजय कुमार, तीर्थोमांशत्रुजय, गुणोमां विनय, धनुर्धारीमा अर्जुन, 81 हूँ मंत्रोमां नवकार, अने वृक्षोमां थाम्रवृक्ष ले तेम ते कल्पसूत्र सर्व शास्त्रोमां शिरोमणिपणाने धारण हूँ है करे . ते विष कडं ने के, जेम मंत्रोमां परमेष्ठी मंत्र, तीर्थोमां शत्रुजय, दानमां जीवदया, गुणोमा । विनय, व्रतोमांब्रह्मचर्य, नियममां संतोष, तपमां शमता अने तत्वमा सम्ग्यदर्शन तेम श्री सर्वज्ञ प्रजुए कहेला सर्व पर्वोमां श्रीवार्षिक पर्व (पर्युषणा) उत्कृष्ट ने. १ वली कवू डे के,अस्तथी बीजो कोइ ।। देव नथी, मुक्तिश्री बीजं कोई पद नथी, श्रीशत्रुजयश्री बीजं तीर्थ नथी अने श्रीकल्पसूत्रथी बीजं । को शास्त्र नथी.२ था कल्पसूत्र सादात् कल्पवृक्षज बे. ते आनुपूर्वीना क्रम वगर कहेवू दे, तेथी है। तेमां कहेवू श्रीवीर प्रजुनुं चरित्र तेनुं बीज , श्रीपार्श्वनाथनुं चरित्र अंकुर , श्रीनेमिचरित्र है। स्कंध (थमीश्रा) , श्री ऋषनचरित्र शाखाउँनो समूह बे, स्थविरावलीरूप पुष्पो ने, सामाचारीनुं । झान ते सुगंध डे अने मोक्षप्राप्ति ए कल्पसूत्ररूपी कल्पवृदनुं फल . वली कडं जे के, “वांच-18 वाथी, तेमां सहाय करवाथी अने सर्व श्रदरो श्रवण करवाथी विधिपूर्वक श्राराधेनुं था कल्पसूत्र हूँ श्राव नवनी अंदर मोददायक थाय बे.” १ जे श्रीजिनशासन प्रनावना अने पूजामां परायण था। एकाग्र चित्तथी श्रा कल्पसूत्रने एकवीश वार सांजले बे ते हे गौतम, श्रा संसारसागरने तरी जाय /. २ आ प्रमाणे श्री कल्पसूत्रनो महिमा सांजली कष्टोथी अने धननोव्यय करवाथी साध्य एवां 8
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