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________________ COCACANCLUCRACH प्रमाणवाला मषी पुंजोथी लखी शकाय तेटलां .तेनी स्थापना, यंत्र श्राप्रमाणे , तेथीए महापुरुषोए रचित होवाथी मानवा योग्य वे अने तेमां गंजीर अर्थ रहेलो बे. कथु बे के " जो सर्व नदीउनी रेती एकठी करीए अने सर्व समुसोनुं जल एकत्र करीए तेथी|8| अनंतगणो एक सूत्रनो अर्थ थाय .” १ मुखमां सहस्र जिह्वा होय अने जो हृदयमां केवलझान होय तोपण मनुष्योश्रीश्रा कल्पसूत्र-माहात्म्य कही शकायतेम नथी. ते कल्पसूत्रने वांचवामां श्रने सांजलवामां मुख्य रीते साधु ने साध्वी अधिकारी जे. तेमां पण कालथी रात्रिने विषे कालगणनादि विधिने करनारा साधुउने वाचन अने श्रवण बंने योग्य ने अने साध्वीनने तो निशीथ चूर्णी विगेरेमा कहेला विधि वडे दिवसे पण योग्य वे.श्रीवीर प्रजुना निर्वाण पडी नवसोने एंशी वर्षअतिक्रम थतांबीजा मतप्रमाणे नवसोनेत्राणुं वर्ष अतिक्रम थतां आनंदपुरमा पुत्रना मृत्युथी दुःखी थयेला ध्रुवसेन राजाना मनने समाधान करवाने या कल्पसूत्र मोटा महोत्सव साथे सन्नानी समक्ष वांचवा श्रारंज्यु हतुं,त्यार-2 थी मामीने चतुर्विध संघ तेनाश्रवणनो अधिकारी थयो पण वांचवाने अधिकारी तो मात्रयोग वेदेनार साधु जे.या वार्षिक पर्वमां कल्पसूत्रना श्रवणनी जेम था पांच कार्य पण अवश्य करवा योग्य . ते पाहू प्रमाणे-पहेलु कार्य चैत्यपरिपाटी एटले प्रत्येक चैत्ये वंदना अर्थे फरवू,बीगँ कार्य सर्व साधुनने वंदना करवी, त्रीगँ कार्य सांवत्सरिक प्रतिक्रमण करवू,चोथु कार्य परस्पर साधर्मी लाउने खमावतुं अने है पांचमुं कार्य अष्टम तप करवं, ए पांच कार्यों पण कल्पसूत्रना श्रवणनी जेम इनित पदार्थने आप-8 नारां , तेमज अवश्य कर्त्तव्य , वली श्रीजिन जगवंते ते करवानी थाझा करी जे एम जाणवू. तेहै मां जे अहम तप ने ते त्रण उपवासथी बने , ते तप महा फलनुं कारण, ज्ञान, दर्शन, चारित्ररूप त्रण रत्नने आपनार,त्रण शख्यने उन्मूलन करनार,त्रण जन्मने पवित्र करनार, मन, वचन श्रने कायाना दोषने शोषण करनार अने त्रण जगत्मा श्रेष्ठ पदने पमामनार तेथी मोदपदना अभिलाषी एवा ६ नविप्राणीए ते अष्टम तप अवश्य करवा योग्य ते उपर नागकेतुनो दृष्टांत बेः-चंतकांता नामे नगरी ALCOHORICALCANADAM Jan Education international For Private Personal Use Only wow.jainelibrary.org
SR No.005230
Book TitleSubodhika Kalpasutra Tika Gujarati Bhashantar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinayvijay
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1915
Total Pages414
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati, Agam, Canon, & agam_kalpsutra
File Size16 MB
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