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तेटलाज उत्तम पुरुषो, ते वार पठी अनुक्रमे घोमा, हाथी, रथ तया पालानां सैन्यो, ते वार पछी एक हजार नानी पताकाउंथी मंदित थयेलो तथा एक हजार जोजन जंबो एवो ध्वज, ते वार पठी खड्डू धरनाराउं, ते वार पढी जालांवालाई, ते वार पढी ढालवालाई, ते वार पढी हास्य करावनाराजे, ते वार पढी नर्त करनाराउं, ते वार पछी जय जय शब्द करती कंदर्पिकार्ड, ते वार पढी घणा उग्रकुलना जोगकुलना राजार्ज, क्षत्रियो, कोटवालो, मांगलिको, कौटुंबिको, शेवी - चार्ज, सार्थवाहो, देवो, देवी विगेरे प्रभुनी अगामी चालता हता, ते वार पढी स्वर्ग, मृत्युलोक धने पातालमा रहेनारा देव, मनुष्य अने असुरो सहित एवी पर्षदाए करीने सारी रीते अनुग मन करातुं तथा अगामी शंख वगामनाराउं, चक्र धारण करनाराउं, हल धारण करनारा एटले गलामां सोनानां लांगलना थाकारनां श्राभूषण धरनारा जट्ट विशेषो, मुखयी चाटु वचन बोलनारा माणसो, पोतानी खांध पर बेसाडेल बे माणसो जेईए एवा माणसो, तथा मागध एटले बिरुदावली बोलनारा माणसो, तथा घंटा लइ चालनारा राउलीच्या माणसो, ते सघलाउंथी वींटायेला प्रजुने | कुलना वकिल यादिक खजनो, इष्टादिक विशेषणोवाली वाणीए करीने प्रजुने अभिनंदता थका बोलवा लाग्या के "जय जय नंदा, जय जय जदा जहं ते" एटले हे समृद्धिमन् ! तथा हे जडकारक ! तमे । जय पामो, तमने जड यार्ड तथा अजित एवी इंडियाने अतिचार रहित एवां ज्ञान, दर्शन, चारित्रयी वश करो. तथा तमोए वश करेल एवा श्रमणधर्मने तमे पालो. वली हे प्रभु ! तमोए विघ्नने जीत्या बे, तोपण तमे सिद्धि मांहे जइ वसो अर्थात् तमे त्यां मोक्षमां अंतराय रहित रहो. तथा रागद्वेषरूपी मल्लनो तमे निश्चयपूर्वक नाश करो. शाथी ? तो के बाह्य अने अन्यंतर एवां त पथी तथा संतोष ने धैर्यतामां प्रवीण थया थका या कर्मोरूपी शत्रुनुं मर्दन करो. शाथी ? | तो के उत्तम एवा शुक्ल ध्यानथी. वली हे वीर ! अप्रमत्त थया थका त्रण लोकरूपी जे मल्लयुद्धनो खामो, तेनी अंदर श्राराधनपताकाने तमे ग्रहण करो. तथा तिमिर रहित एवं अनुपम जे के
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