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________________ रूपवाला, तथा सर्व प्रकारना गुणोए करीने थालिंगित थयेला, तथा सरल, तथा विनयवान्, तथा प्रख्यात, तथा ज्ञात कहेतां जे सिफार्थ राजा, तेना पुत्र, तथा केवल पुत्र मात्रज एटटुंज नहीं, पण ज्ञातकुलने विषे चंड सरखा, वज्रषजनाराच संघयण तथा समचतुरस्त्र संस्थानना मनोहरपणाने लीधे सुंदर ने देह जेमनो एवा, तथा वैदेह दिन्न कहेतां त्रिशलाना पुत्र एटले विदेहा कहेतां जे त्रिशला दात्रियाणी, तेणीनी कुदिए उत्पन्न थयेवू डे शरीर जेमनुं एवा, गृहस्थावासमां सुकुमाल एवा, ( केमके दीदा वखते तो परिषहो सहन करवाथी सुकुमालपणाए करीने रहित हता ) श्रमण जगवंत श्री महावीर प्रनु त्रीश वर्ष सुधी गृहस्थावासमां रहीने, * मातापिता ज्यारे देवलोके गयां, त्यारे नंदिवर्धन श्रादिक वनीलोनी लीधेल ने रजा जेमणे एवा, एटले गर्नमांज होते बते प्रतिज्ञा करी हती के मातापिताना बेग हुँ दीदा लश्श नहीं, एवी रीतनी प्रतिज्ञा संपूर्ण थ जेमनी एवा, अहीं श्रावश्यकसूत्रना अनिप्राये प्रजुने अध्यावीश वर्ष वीत्या बाद तेमनां मातापिता चोथे स्वर्गे गयां, अने श्राचारांगना अभिप्राये अनशन करी] ॐ अच्युत देवलोके गयां. ते वार पठी प्रजुए पोताना मोटा लाइ नंदिवर्धनने कयुं के हे राजन् ! मारो थनिग्रह संपूर्ण थयो ने, माटे हुँ हवे दीदा लश्श. त्यारे नंदिवर्धने कह्यु के हे नाइ! मासातपिताना विरदथी खिन्न थयेला एवा मने आ वात कहीने तुं घा पर खार मेलवा जेवू केम करे ने ? त्यारे प्रजुए कह्यु के हे नाइ! पिता, माता, वाता, वेदेन विगेरेनो संबंध आ जीव अनेक वार परस्परना स्नेहथी बांधी चुक्यो बे; माटे शामाटे आपे प्रतिबंध करवो जोइए ? त्यारे नंदि-3 वर्धने कह्यु के हे ना! ते सघा हूं जाणुं बं, पण प्राण थकी पण अत्यंत वहाला एवा जे तमो, तेनो विरह मने अत्यंत पीमा उपजावे , माटे मारा उपरोधथी तसे वे वर्ष सुधी घरमां रहो. हत्यारे प्रजुए कह्यु के ठीक; पण हे राजन् ! मारा माटे तमारे को पण जातनो श्रारंज करवो नहीं; हुँ प्रासुक एवां आहार पाणी ग्रहण करीने रहीश; त्यारे नंदिवर्धन राजाए पण ते कबूल कर्यु. lain Educat For Private Porsonal Use Only jainelibrary.org
SR No.005230
Book TitleSubodhika Kalpasutra Tika Gujarati Bhashantar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinayvijay
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1915
Total Pages414
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati, Agam, Canon, & agam_kalpsutra
File Size16 MB
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