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________________ कल्प सुवो ॥ ३॥ त्तम माणस बोलता नथी, पण करी देखामे . तेमज असार पदार्थनो प्राये मोटो आडंबर होय, केमके जेवो कांसानो अवाज थाय बे, तेवो सोनानो अवाज थतो नयी. इत्यादिक विचार करता एवा पंमितने इंझे कह्यु के हे विप्र! तारे मनमां आमने मनुष्य मात्र एवा बालक नहीं जाणवा, पण थाने तो त्रण जगतना नाथ अने सघलां शास्त्रोना पारने पहोंचेला एवा श्री वीर जिनेश्वर तारे जाणवा. इत्यादिक श्री वीर प्रजुनी स्तुति करीने इंछ पोताने स्थानके गयो. श्री वीर प्रनु पण सघला झातकुलना क्षत्रिनश्री परिवारयुक्त थया थका पोताने घेर श्राव्या. एवी रीते प्रजुने * पाठशालामां मोकलवानो अधिकार जाणवो. | एवी रीते प्रजुनी बाल्यावस्था गया बाद यौवन युक्त श्रये बते, तथा लोगो जोगववाने समर्थ है &थये बते प्रजुने माता पिताए शुभ मुहूर्त्तमां समरवीर राजानी यशोदा नामे पुत्री परणावी. तेणीनी - साथे सुख जोगवतांप्रनुने एक पुत्री थइ, अने तेणीने पण को मोटा राजाना पुत्र एवा पोताना ना-23 रणेज जमाली साथे परणावी, अने तेणीने पण शेषवती नामनी पुत्री थइ, अने ते प्रजुनी दौहित्री थाय. & श्रमण जगवंत श्री महावीर प्रजुना पिता काश्यप गोत्रवाला हता. तेमनां त्रण नाम आ प्र-2 माणे कडेवाय ने. एक सिझार्थ, बीजं श्रेयांस अने त्रीजं यशखी. श्रमण जगवंत श्री महावीर प्रनुनी मातानुं वाशिष्ठ गोत्र हतुं. तेमनां त्रण नाम था प्रमाणे कहेवाय . एक त्रिशला, बीजें: विदेह दिन्ना अने त्रीजुं प्रीतिकारिणी. श्रमण जगवंत श्री महावीर प्रजुना काका सुपार्श्व, मोटा नाश् नंदिवर्धन, बहेन सुदर्शना, अने स्त्री कौमिन्य गोतवाली यशोदा हती. श्रमण जगवंत श्री महावीर प्रनुनी काश्यप गोत्रवाली पुत्री एक हती. तेनां बे नाम यावीरीते कवाय वे. एक पोजा अने बीजं प्रियदर्शना. श्रमण जगवंत श्री महावीर प्रनुनी कौशिक गोत्रवाली एक पौत्री हती. तेनां वे नाम श्रावी रीते कहेवाय . एक शेषवती अने वीजें यशस्वती. __ हवे दद कहेतां सकल कलाठमां कुशल एवा, तथा निपुण ने प्रतिज्ञा जेनी एवा, तथा सुंदर lanEdiमा For Private Personal Use Only LAPainelibrary.org
SR No.005230
Book TitleSubodhika Kalpasutra Tika Gujarati Bhashantar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinayvijay
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1915
Total Pages414
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati, Agam, Canon, & agam_kalpsutra
File Size16 MB
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