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सघला जिनेश्वरोनुं गवार
जेम गर्नने वाधा न आवे एवी रीतश्री स्तंन श्रादिकर्नु अवलंबन लेती हवी, तया निझा करती हवी, उन्नी थती हवी, श्रासन पर बेसती हवी, तथा निता विना शय्या पर सुश्ने आलोटती हवी,
कुष्टिमतल कहेतां जमीन पर विहार करती हवी, अने एवी रीते सुखे सुखे गर्नने धारण करती हवी.४ ४ हवे ते कालने विषे तथा ते समयने विषे श्रमण जगवंत श्री महावीर स्वामी गर्जमां श्राव्या
बाद, जे या जनालानो पहेलो मास, बीजुं पखवामीयुं ते चैत्र मासनो शुक्ल पक्ष, ते चैत्र मासना। * शुक्ल पक्षनी तेरसने दिवसे नव महीना संपूर्ण होते ते, तथा अरधी श्राग्मी रात्रि जाते बते, एटले नव महीना धने सामासात दिवसो जाते ते (पुत्रने जन्म आप्यो). एवी रीते
जिनेश्वरोनुं गर्जवासनी स्थितिनुं मान कंश तुल्य नथी. षनदेव प्रजु नव मास श्रने चार दिवस गर्जमा रह्या, अजितनाथ प्रनुाठमास श्रने पचीश दिवस गर्नमा रह्या, संजवनाथ प्रनु नव मास श्रने उ दिवस गर्नमा रह्या, अनिनंदन स्वामी श्राव मास ने अव्यावीश दिवस गर्नमा रह्या, सुमतिनाथ प्रनु नव मास अने ब दिवस गर्नमा रह्या, पद्मप्रन खामी नव मास अने ल दिवस गर्नमा रह्या, सुपार्श्वनाथ प्रनु नव मास अने जंगणीश दिवस गर्नमा रह्या, चंपन प्रनु नव मास| ने सात दिवस गर्नमां रह्या, सुविधिनाथ प्रनु आठ महीना ने बवीश दिवस गर्नमा रह्या, शीतलनाथ प्रनु नव मास अनेक दिवस गर्नमा रह्या, श्रेयांसनाथ प्रजु नव मास ने ब दिवस गर्नमा रह्या, वासुपूज्य स्वामी श्राप महीना ने वीश दिवस गर्नमा रह्या,विमलनाथ प्रजु आठ महीना ने एकवीश दिवस गर्नमा रह्या, अनंतनाथ प्रनु नव मास अने उ दिवस गर्नमा रह्या, धर्मनाथ प्रनु आठ महीना ने बवीश दिवस गर्नमा रह्या, शांतिनाथ प्रनु नव महीना ने उ दिवस गर्नमा रह्या, कुंथुनाथ * प्रनु नव महीना ने पांच दिवस गर्नमा रह्या, अरनाथ प्रनु नव महीना ने श्राप दिवस गर्जमां है रह्या, मलिनाथ प्रजु नव महीना ने सात दिवस गर्नमां रह्या, मुनिसुव्रत स्वामी नव महीना ने श्राप दिवस गर्नमा रह्या, नमिनाथ प्रजु नव महीना ने श्राप दिवस गर्नमां रह्या, नेमनाथ
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